Bach Baras 2025 Kab hai: भाद्रपद मास में बछ बारस का व्रत भी किया जाता है। इस व्रत में गाय की पूजा करने की परंपरा है। ये व्रत मुख्य रूप से राजस्थान और मध्य प्रदेश में किया जाता है। जानें 2025 में कब है बछ बारस?
Bach Baras 2025 Details: हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस का व्रत किया जाता है। धर्म ग्रंथों में इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत में महिलाएं गाय और बछड़ों की पूजा करती हैं, इसलिए इसे गोवत्स द्वादशी भी कहते हैं। ये व्रत सिर्फ वही महिलाएं करती हैं जिनका कोई पुत्र होता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पुत्र की आयु लंबी होती है और उसकी सेहत भी ठीक रहती है। जानें साल 2025 में कब है बछ बारस, पूजा विधि, और शुभ मुहूर्त आदि…
2025 में कब करें बछ बारस व्रत? (Bach Baras 2025 Kab hai)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि 19 अगस्त, मंगलवार की दोपहर 03 बजकर 32 मिनिट से शुरू होगी जो 20 अगस्त, बुधवार की दोपहर 01 बजकर 58 मिनिट तक रहेगी। यानी द्वादशी तिथि का सूर्योदय 20 अगस्त को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा।
बछ बारस 2025 पूजा के शुभ मुहूर्त (Bach Baras 2025 Shubh Muhurat)
सुबह 06:09 से 07:44 तक
सुबह 07:44 से 09:19 तक
सुबह 10:54 से दोपहर 12:30 तक
दोपहर 03:40 से शाम 05:16 तक
शाम 05:16 से 06:51 तक
बछ बारस पूजा विधि (Bach Baras Puja Vidhi)
- 20 अगस्त, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त में गाय (दूध देने वाली) को उसके बछडे़ सहित नहलाएं, उसका श्रृंगार करें। फूलों की माला पहनाकर तिलक लगाएं।
- मन कामधेनु का स्मरण करें और बर्तन में चावल, तिल, जल, सुगंधित पदार्थ मिलाकर नीचे लिखे मंत्र को बोलते हुए गाय के पैर धोएं-
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
- गाय के पैरों की मिट्टी से मस्तक पर तिलक करें। गाय की आरती करें और बछ बारस की कथा सुनें। इस व्रत से पुत्र की आयु लंबी होती है।
- इस दिन गाय के दूध और इससे बनी चीजें जैसे दही, मक्खन आदि न खाएं। साथ ही मूंग की दाल खाने की भी मनाही है।
- इस दिन सब्जी आदि काटना भी निषेध हैं यानी इस दिन धार वाली और नुकीली चीजों के उपयोग करने से बचना चाहिए।
गौ माता की आरती (Gau Mata Ki Aarti Lyrics In Hindi)
आरती हरनि विश्वधैया की ।।
अर्थकाम सद्धर्म प्रदायिनी,
अविचल अमल मुक्तिपद्दायिनी ।।
सुर मानव सौभाग्याविधायिनी,
प्यारी पूज्य नन्द छैया की ।।
अखिल विश्व प्रतिपालिनी माता,
मधुर अमिय दुग्धान्न प्रब्दाता ।।
रोग शोक संकट परित्राता,
भवसागर हित दृढ़ नैया की ।।
आयु ओज आरोग्यविकाशिनी,
दुःख दैन्य दारिद्रय विनाशिनी ।।
सुष्मा सौख्य समृद्धि प्रकाशिनी,
विमल विवेक बुद्धि दैया की ।।
सेवक हो चाहे दुखदाई,
सा पय सुधा पियावति माई ।।
शत्रु-मित्र सबको सुखदायी,
स्नेह स्वभाव विश्व जैया की ।।
आरती श्री गैया मैया की
आरती हरनि विश्वधैया की ।।
अर्थकाम सद्धर्म प्रदायिनी,
अविचल अमल मुक्तिपद्दायिनी ।।
सुर मानव सौभाग्याविधायिनी,
प्यारी पूज्य नन्द छैया की ।।
अखिल विश्व प्रतिपालिनी माता,
मधुर अमिय दुग्धान्न प्रब्दाता ।।
रोग शोक संकट परित्राता,
भवसागर हित दृढ़ नैया की ।।
आयु ओज आरोग्यविकाशिनी,
दुःख दैन्य दारिद्रय विनाशिनी ।।
सुष्मा सौख्य समृद्धि प्रकाशिनी,
विमल विवेक बुद्धि दैया की ।।
सेवक हो चाहे दुखदाई,
सा पय सुधा पियावति माई ।।
शत्रु-मित्र सबको सुखदायी,
स्नेह स्वभाव विश्व जैया की।।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
