सार
Vinayak Chaturthi March 2024: भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है। हर महीने की चतुर्थी पर इन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा व व्रत करने का विधान भी है। इसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं।
Kab Hai Vinayaka Chaturthi March 2023: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायकी चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस बार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का व्रत मार्च महीने में किया जाएगा। फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी को वरद चतुर्थी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आगे जानिए इस बार कब करें विनायकी चतुर्थी व्रत, इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय…
कब करें विनायकी चतुर्थी व्रत? (Vinayaka Chaturthi March 2023 Kab hai)
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 मार्च की सुबह 04:04 से रात 01:26 तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय 13 मार्च को ही होगा, इसलिए इसी दिन विनायकी चतुर्थी का व्रत भी किया जाएगा। इस बार चतुर्थी तिथि बुधवार को होने और इस दिन इंद्र नाम का शुभ योग होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
जानें चंद्रोदय का समय और शुभ मुहूर्त (Vinayaka Chaturthi March 2024 Shubh Muhurat)
13 मार्च, बुधवार की शाम को पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाएगी और इसके बाद चंद्र उदय होने पर अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण किया जाएगा। शाम को पूजा का मुहूर्त शाम 06.13 से 07.47 तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा रात 07.32 पर उदय होगा। स्थान के अनुसार, चंद्रोदय के समय में परिवर्तन हो सकता है।
इस विधि से करें विनायकी चतुर्थी व्रत-पूजा (Vinayaki Chaturthi March 2024 Puja Vidhi)
- 13 मार्च, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें, जैसे कम बोलें, किसी पर क्रोध न करें, गलत बातों पर ध्यान न दें।
- इस व्रत में निराहार यानी बिना भोजन रहा जाता है, ऐसा संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।
- दिन भर भगवान श्रीगणेश के नाम मंत्र का जाप करते रहें। पूजन के लिए जरूरी तैयारी करके रखें।
- शाम को शभ मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा साफ स्थान पर स्थापित करें और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- श्रीगणेश को माला पहनाएं, तिलक लगाएं, दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी आदि चीजें चढ़ाएं।
- पूजा के दौरान ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। अंत में भोग लगाएं और आरती करें।
- चंद्रमा उदय होने पर फूल, कुंकुम व चावल से पूजा करें। जल से अर्ध्य दें और फिर स्वयं भोजन करें।
भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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