सार
Maghi Purnima 2024 Date: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। ये हिंदू मास की अंतिम तिथि होती है। इस दिन दान-पुण्य, पूजा आदि करने से उसका फल कई गुना होकर प्राप्त होता है। जानें 2024 में कब है माघ मास की पूर्णिमा…
Kab Hai Maghi Purnima 2024: हिंदू पंचांग का 11 महीना है माघ। इस महीने में कईं बड़े व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। अनेक ग्रंथों में इस महीने का महत्व बताया गया है। इस महीने की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा बहुत ही खास मानी गई है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और जरूरतमंदों को दान के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा की परंपरा भी है। प्रयागरात के संगम तट पर लगने वाले कल्पवास मेला का भी ये अंतिम दिन होता है। आगे जानिए इस बार कब है माघी पूर्णिमा, इसके शुभ मुहूर्त, पूजा विधि आदि…
कब है माघी पूर्णिमा 2024? (Maghi Purnima 2024 Kab Hai)
पंचांग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा तिथि 23 फरवरी, शुक्रवार की दोपहर 03:34 से शुरू होगी, जो 24 फरवरी, शनिवार की शाम 06:00 बजे तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 24 फरवरी को होगा, इसलिए इस तिथि से संबंधित सभी कार्य जैसे स्नान-दान, पूजा आदि भी इसी दिन किए जाएंगे।
माघी पूर्णिमा 2024 के शुभ योग-मुहूर्त (Maghi Purnima 2024 Shubh Yog-Muhurat)
ज्योतिषियों के अनुसार, 24 फरवरी, शनिवार को मघा नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, जिससे पद्म नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन सुकर्मा नाम का एक अन्य शुभ योग भी रहेगा। इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 05.11 से 06.02 तक है। पूजा के मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 08:22 से 09:48 तक
- दोपहर 12:40 से 02:05 तक
- दोपहर 03:31 से 04:57 तक
माघी पूर्णिमा व्रत-पूजा विधि (Maghi Purnima Vrat-Puja Vidhi)
- 24 फरवरी, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। ऐसा न कर पाएं तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इसके लिए पहले घर में किसी साफ स्थान पर भगवान की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पूजा स्थान पर शुद्ध घी का दीपक जलाएं। देव प्रतिमा या चित्र को फूल माला पहनाएं। तिलक लगाएं। मन ही मन मंत्र जाप भी करते हैं।
- इसके बाद एक-एक करके अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें चढ़ाते रहें। अंत में भगवान को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती करें।
- पूजा के बाद गरीबों को भोजन, वस्त्र, तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, जूते, फल, अन्न आदि चीजों का दान करें। साथ में दक्षिणा भी जरूर दें।
- इस दिन संयमपूर्वक आचरण कर व्रत करें यानी अन्न ग्रहण न करें। एक समय फलाहार ले सकते हैं। किसी पर क्रोध भी करें।
- अगले दिन यानी 25 फरवरी, रविवार की सुबह ब्राह्मणओं को बुलाकर भोजन करवाएं-दक्षिणा दें और व्रत का पारणा करें।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।