सार

Kab hai Rama Ekadashi 2023: वैसे तो दिवाली फेस्टिवल की शुरूआत धनतेरस से मानी जाती है, लेकिन दीपक लगाने का क्रम एकादशी से ही शुरू हो जाता है। दिपावली से 4 दिन पहले रमा एकादशी का व्रत किया जाता है। जानें इस बार कब है रमा एकादशी?

 

when is Rama Ekadashi? धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी कहते हैं। पुराणों में रमा देवी लक्ष्मी का ही एक नाम बताया गया है। दीपावली से 4 दिन पहले आने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। पद्म पुराण में भी इस एकादशी का महत्व बताया गया है। आगे जानिए इस बार कब है रमा एकादशी, इसके शुभ मुहूर्त, पूजा विधि सहित पूरी डिटेल…

कब है रमा एकादशी 2023? (When is Rama Ekadashi 2023?)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 08 नवंबर, बुधवार की सुबह 08:23 से 09 नवंबर, गुरुवार की सुबह 10:42 तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 9 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन रमा एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र होने से मातंग नाम का शुभ योग बनेगा।

रमा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Rama Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:48 से दोपहर 12:32 तक
लाभ- दोपहर 12:05 से 01:26 तक
अमृत- शाम 05:31 से 07:09 तक

रमा एकादशी व्रत पारणा का मुहूर्त
रमा एकादशी व्रत का पारणा 10 नवंबर, शुक्रवार की सुबह किया जाएगा। पारणा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:39 से 08:50 तक रहेगा।

रमा एकादशी व्रत-पूजा की विधि (Rama Ekadashi Vrat-Puja Vidhi)
- 9 नवंबर, गुरुवार की सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर में किसी साफ स्थान पर एक पटिया यानी बाजोट रखें। इसके ऊपर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण का चित्र स्थापित करें।
- कुमकुम से श्रीकृष्ण को तिलक करें। शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इसके बाद फूलों की माला पहनाएं। एक-एक करके अबीर-गुलाल, रोली, चावल आदि चीजें चढ़ाते रहें। मन ही मन ऊँ भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप भी करते रहें।
- इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार, भगवान को भोग लगाएं। भोग में तुलसी के पत्ते जरूर डालें। भगवान की आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें। दिन भर संयम पूर्वक रहें यानी किसी के बारे में बुरा न सोचें। गलत विचार मन में न लगाएं।
- रात को भी सोएं नहीं बल्कि भगवान की प्रतिमा के निकट बैठकर श्रीमद्भागवत या गीता का पाठ करें। अगली सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवा कर व्रत का पारणा करें। इस तरह ये व्रत पूर्ण करने से हर कामना पूरी हो सकती है।

रमा एकादशी व्रत की कथा (Rama Ekadashi ki Katha)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन समय में मुचुकुंद नाम के राजा थे। चंद्रभागा नाम की उनकी एक पुत्री थी, जिसका विवाह राजकुमार शोभन से हुआ था। एक बार जब शोभन अपने ससुराल आया, तो उस दिन एकादशी तिथि थी। राजा मुचुकुंद के राज्य में सभी को सभी को एकादशी व्रत करना अनिवार्य था। शोभन ने भी ये व्रत किया, लेकिन भूख, प्यास सहन न कर पाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु से चंद्रभागा बहुत दु:खी हुई। एकादशी व्रत के प्रभाव से शोभन ने मंदराचल पर्वत के शिखर पर एक उत्तम देवनगर प्राप्त किया। एक बार राजा मुचुकुंद जब मंदराचल पर्वत गए तो उन्होंने अपने दामाद का वैभव देखा। उन्होंने ये बात चंद्रभागा को बताई। पिता से आज्ञा लेकर चंद्रभागा अपने पति के साथ सुख पूर्वक रहने लगी।


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