Shastra Puja 2025 Date: हिंदू धर्म में शस्त्र पूजन की परंपरा भी है जो हर साल विजयादशमी यानी दशहरा के मौके पर निभाई जाती है। जानें इस बार कब करें शस्त्र पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें और क्या है शुभ मुहूर्त?

Shastra Puja 2025 Details: विजयादशमी यानी दशहरा हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस पर्व पर अनेक परंपराओं का पालन किया जाता है, शस्त्र पूजा भी इनमें से एक है। शस्त्र पूजन की परंपरा अनादि काल से चली आ रह है। भगवान श्रीराम ने भी अपने विशेष शस्त्र से ही रावण का वध किया था। शस्त्र पूजन का अर्थ है कि हमें अन्याय से लड़ने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। दशहरे पर पुलिस और सेना द्वारा भी शस्त्र पूजन किया जाता है। आगे जानिए 2025 में कब करें शस्त्र पूजा, विधि-मंत्र और शुभ मुहूर्त…

ये भी पढ़ें-
Karwa Chauth 2025: सबसे पहले इन तीन देवियों ने करवा चौथ का रखा था व्रत?

कब करें शस्त्र पूजन 2025?

शस्त्र पूजन दशहरे के मौके पर किया जाता है। इस बार ये पर्व 2 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस परंपरा से जुड़ी एक कथा भी है, उसके अनुसार, महिषासुर नाम के दैत्य ने जब स्वर्ग पर अधिकार कर लिया और उसका वध करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु व महेश एक शक्ति उत्पन्न की, जिसका नाम दुर्गा रखा गया। देवताओं ने इन्हें अपने अस्त्र-दिए। देवी इन इन शस्त्रों से महिषासुर और उसकी सेना का वध कर दिया। इसी विजय के उपलक्ष्य में हर साल विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है और शस्त्रों की पूजा की जाती है।

ये भी पढ़ें-
Dussehra 2025: एक क्लिक में जानिए दशहरा से जुड़े 20 सबसे आसान और महत्वपूर्ण सवालों के जवाब

शस्त्र पूजा 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 10:47 से दोपहर 12:16 तक
दोपहर 11:52 से 12:39 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:16 से 01:44 तक
दोपहर 01:44 से 03:12 तक
दोपहर 02:09 से 02:56 तक (विजय मुहूर्त)

कैसे करें शस्त्र पूजा?

- 2 अक्टूबर, गुरुवार को ऊपर बताए गए किसी भी शुभ मुहूर्त में शस्त्र पूजा कर सकते हैं। इसके लिए पहले से एक स्थान पर शस्त्र, फूल, कुंकुम, चावल, जल से भरा लोटा, दीपक, पूजा का धागा और भोग के लिए मिठाई लाकर रख लें।
- अपनी इच्छा अनुसार ऊपर बताए गए किसी भी शुभ मुहूर्त में शस्त्र पूजन शुरू करें। सबसे पहले अस्त्र-शस्त्रों पर जल छिड़क कर पवित्र करें। कुमकुम से शस्त्रों पर तिलक करें और चावल भी चढ़ाएं। शस्त्रों पर पूजा का धागा बांधें।
- शस्त्र पूजा करते समय ये मंत्र बोलें-
आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।
स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये॥
- अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और दीपक से शस्त्रों की आरती करें। पूजा के बाद शस्त्रों का प्रदर्शन भी करें जैसे हवाई फायर और तलवारबाजी आदि। इससे देवी विजया प्रसन्न होती हैं और शोक-भय दूर करती हैं।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।