सार
Somvati Amawasya Ki Katha: इस बार दिवाली के दूसरे दिन यानी 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन शिवजी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सोमवती अमावस्या की कथा भी जरूर सुननी चाहिए।
Kab hai Somvati Amawasya: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि के स्वामी स्वयं पितृ देवता हैं। इस बार दिवाली के दूसरे दिन यानी 13 नवंबर, सोमवार को कार्तिक मास की अमावस्या दोपहर 2 बजे तक रहेगी। इसलिए इस दिन सोमवती अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। सोमवती अमावस्या को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और गरीबों को दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन शिवजी की पूजा भी की जाती है। सोमवती अमावस्या से जुड़ी एक कथा भी है, जो इस दिन जरूर सुनना चाहिए। आगे जानिए सोमवती अमावस्या की ये कथा…
ये है सोमवती अमावस्या की कथा (Somvati Amawasya Ki Katha)
- प्राचीन समय में किसी शहर में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्री के साथ रहता था। उसकी पुत्री बहुत ही सुंदर और सुशील थी, लेकिन गरीबी के कराण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन उनके घर एक महात्मा आए। ब्राह्मण की कन्या ने उनका खूब आदर-सत्कार किया।
- लड़की की सेवा से महात्मा बहुत खुश हुए। महात्मा को प्रसन्न देखकर ब्राह्मण ने अपनी परेशानी उन्हें बताई। महात्मा ने लड़की का हाथ देखकर कहा कि ‘इसके हाथ में तो विवाह रेखा ही नहीं है।’ ये सुनकर ब्राह्मण पति-पत्नी बहुत दुखी हुए और इस समस्या का समाधान पूछा।
- महात्मा ने उन्हें बताया कि ‘यहां से कुछ ही दूर पर एक गांव है, वहां सोना नाम की एक धोबिन रहती, वो एक पतिव्रता स्त्री है। अगर तुम्हारी लड़की उस धोबिन को प्रसन्न कर उसकी मांग का सिंदूर प्राप्त कर ले तो इसका विवाह हो सकता है।’ उपाय बताकर महात्मा वहां से चले गए।
- ब्राह्मण कन्या को जब ये बात पता चली तो वो सोना धोबिन के घर पहुंच गई और उसके घर का पूरा काम करने लगी। इस तरह उनसे सोना धोबिन को प्रसन्न कर लया। एक दिन सोना ने लड़की से उसकी मनोकामना पूछी। ब्राह्मण कन्या ने अपने मन की बात सोना धोबिन को बता दी।
- उस दिन सोमवती अमावस्या थी। उस दिन ब्राह्मण कन्या को साथ लेकर सोना धोबिन उसके घर गई और वहां उसने अपनी मांग का सिंदूर उस कन्या की मांग में लगा दिया। ये देखकर ब्राह्मण पति-पत्नी काफी खुश हुए। लेकिन इससे सोना धोबिन की पति की मृत्यु हो गई।
- जब सोना धोबिन घर लौटने लगी तो रास्ते में पीपल का पेड़ देखकर उसने 108 बार उसकी परिक्रमा की अपने सोमवती अमावस्या के व्रत को पूर्ण किया। इस व्रत के प्रभाव से उसका पति दोबारा जीवित हो गया। इस तरह जो भी सोमवती अमावस्या का व्रत करता है, उसके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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