सार
Yogini Ekadashi 2024: आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहते है। इस एकादशी का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस बार योगिनी एकादशी का व्रत जुलाई 2024 में किया जाएगा।
Yogini Ekadashi 2024 Details: धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इन सभी का नाम, महत्व, कथा आदि अलग-अलग होते हैं। इनमें से आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। इस बार योगिनी एकादशी का व्रत जुलाई 2024 में किया जाएगा। इस दिन कईं शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते ये व्रत और भी खास हो गया है। आगे जानिए योगिनी एकादशी तिथि की सही डेट, पूजा विधि, शुभ योग व अन्य खास बातें…
कब करें योगिनी एकादशी व्रत 2024? (Yogini Ekadashi 2024 Date)
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई, सोमवार की सुबह 10 बजकर 26 मिनिट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 02 जुलाई, मंगलवार की सुबह 08 बजकर 42 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 2 जुलाई को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। व्रत का पारणा अगले दिन यानी 3 जुलाई, बुधवार को किया जाएगा।
योगिनी एकादशी 2024 शुभ योग-मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2024 Shubh Yog-Muhurat)
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, 2 जुलाई, बुधवार को सर्वार्थसिद्धि और त्रिपुष्कर नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं। सर्वार्थसिद्धि योग में किए गए सभी कार्यों में सफलता मिलती है और त्रिपुष्कर योग में किए गए उपाय, पूजा आदि का तीन गुना फल हमें प्राप्त होता है। जानें पूजा के शुभ मुहूर्त…
- सुबह 09:10 से 10:50 तक
- सुबह 10:50 से दोपहर 12:31 तक
- दोपहर 12:31 से 02:11 तक
- दोपहर 03:51 से 05:32 तक
योगिनी एकादशी व्रत-पूजा विधि (Yogini Ekadashi 2024 Puja Vidhi)
- 2 जुलाई, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में किसी साफ स्थान पर लकड़ी के बाजोट के ऊपर सफेद वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- सबसे पहले देव प्रतिमा पर कुंकुम से तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं, शुद्ध घी का दीपक जलायें। इसके बाद एक-एक करके अबीर, गुलाल, कुंकुम, चावल, रोली आदि चीजें चढ़ाते रहें। पूजा करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप भी करते रहना चाहिए।
- पूजा के बाद भगवान विष्णु को अपनी इच्छा अनसुार, फल या मिठाई का भोग लगाएं, इसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें। पूजा के समाप्त होने पर भगवान विष्णु की आरती करें। अगले दिन द्वादशी तिथि (3 जुलाई, बुधवार) पर ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद व्रत का पारणा करें।
ये है योगिनी व्रत की कथा (Yogini Ekadashi Ki Katha)
पुराणों के अनुसार, शिव भक्त कुबेर की नगरी अलकापुरी में हेममाली नाम का यक्ष रहता था। वह प्रतिदिन कुबेरदेव के लिए पूजा के फूल लेकर आता था। एक बार हेममाली किसी वजह से पूजा के फूल लाना भूल गया। नाराज होकर कुबेरदेव ने उसे कोढ़ी बनकर पृथ्वी पर रहने का श्राप दे दिया। पृथ्वी पर रहते हुए उसे एक दिन ऋषि मार्कण्डेय मिले। हेममाली ने उनसे श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा तो उन्होंने कहा कि ‘तुम योगिनी एकादशी का व्रत करो।’ हेममाली ने विधि पूर्वक ये व्रत किया, इसके प्रभाव से वह पुन: स्वस्थ होकर अलकापुरी में सुखपूर्वक रहने लगा।
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