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Mahalaxmi Vrat 2025: कब करें महालक्ष्मी व्रत, 14 या 15 सितंबर? जानें विधि, मंत्र, मुहूर्त

Mahalaxmi Vrat 2025 Date:आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत किया जाता है। इसे हाथी पूजन भी कहते हैं क्योंकि इस व्रत में हाथी पर बैठी देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। जानें 2025 में कब है महालक्ष्मी व्रत?

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Manish Meharele
Published : Sep 11 2025, 10:14 AM IST
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कब है हाथी अष्टमी 2025?
Image Credit : whatsapp@Meta AI

कब है हाथी अष्टमी 2025?

Hathi Pujan 2025 Kab Kare: धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्राद्ध पक्ष की अष्टमी तिथि बहुत खास होती है क्योंकि इस दिन 15 दिनों तक चलने वाले महालक्ष्मी व्रत का समापन होता है। इस व्रत में हाथी पर बैठी देवी महालक्ष्मी की पूजा का विधान है, इसलिए इस व्रत को हाथी अष्टमी या हाथी पूजन भी कहते हैं। इस बार श्राद्ध पक्ष की अष्टमी तिथि 2 दिन है, जिसके चलते लोगों के मन में कन्फ्यूजन है कि महालक्ष्मी व्रत कब करें? आगे जानिए महालक्ष्मी पूजा की सही डेट, पूजा विधि-मंत्र और कथा आदि की डिटेल…

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कब करें महालक्ष्मी व्रत 2025?
Image Credit : whatsapp@Meta AI

कब करें महालक्ष्मी व्रत 2025?

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 सितंबर, रविवार की सुबह 05 बजकर 04 मिनिट से शुरू होगी जो रात 03 बजकर 06 मिनिट तक रहेगी। चूंकि अष्टमी तिथि का सूर्योदय 14 सितंबर को होगा और पूरे दिन भी यही तिथि रहेगी, इसलिए महालक्ष्मी व्रत भी इसी दिन किया जाएगा।

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महालक्ष्मी व्रत 2025 शुभ मुहूर्त
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महालक्ष्मी व्रत 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 09:19 से 10:51 तक
दोपहर 11:58 से 12:46 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 01:53 से 03:25 तक
शाम 06:27 से 07:56 तक

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इस विधि से करें महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat Puja Vidhi)
Image Credit : whatsapp@Meta AI

इस विधि से करें महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat Puja Vidhi)

- 14 सितंबर, रविवार की सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान आदि करें और हाथ में जल, चावल और फूल लेकर महालक्ष्मी व्रत-पूजा का संकल्प लें। संकल्प लेत समय ये मंत्र बोलें-
करिष्यsहं महालक्ष्मि व्रतमें त्वत्परायणा,
तदविघ्नेन में यातु समप्तिं स्वत्प्रसादत:
- दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें जैसे किसी की बुराई न करें। किसी से विवाद न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। घर में पवित्रता बनाएं रखें यानी तामसिक चीजों का उपयोग न करें।
- शुभ मुहूर्त से पहले घर के किसी हिस्से की अच्छे से सफाई करें। ऊपर बताए गए किसी एक मुहूर्त में देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र यहां एक लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें।
- ध्यान रखें कि इस दिन हाथी पर बैठी देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। चित्र या प्रतिमा भी ऐसी ही होनी चाहिए। शुद्ध घी का दीपक जलाएं, कुमकुम से तिलक करें और फूलों की माला पहनाएं।
- इसके बाद चंदन, अबीर, गुलाल, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, जनेऊ, लाल चुनरी, नारियल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते देवी लक्ष्मी को अर्पित करते रहें। इसके बाद नीचे लिखा मंत्र बोलें-
क्षीरोदार्णवसम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा
व्रतोनानेत सन्तुष्टा भवताद्विष्णुबल्लभा
- इस व्रत में देवी लक्ष्मी के बाद हाथी की भी पूजा करें। हाथी को भोग लगाएं और देवी लक्ष्मी को गाय के दूध से बनी खीर अर्पित करें। इसके बाद देवी लक्ष्मी की आरती विधि-विधान से करें।
- इस तरह जो भी व्यक्ति महालक्ष्मी व्रत-पूजा करता है। उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि हमेशा बनी रहती है। महालक्ष्मी व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में भी बताया गया है।

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श्री लक्ष्मी माता की आरती (Laxmi Mata Ki Aarti Lyrics)
Image Credit : Getty

श्री लक्ष्मी माता की आरती (Laxmi Mata Ki Aarti Lyrics)

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख सम्पत्ति दाता॥
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता॥
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता॥
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता॥
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता॥
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
मैया जो कोई जन गाता॥
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ऊं जय लक्ष्मी माता।।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।
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