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Navratri Bhog Rules: देवी दुर्गा को भोग लगाने का क्या है सही तरीका, जरूर करें ये काम
नवरात्रि 2025 में देवी दुर्गा को भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। भोग लगाते समय मंत्र का जाप करें। आप देवी के प्रत्येक स्वरूप के लिए अलग-अलग मंत्र भी जप सकते हैं।

देवी दुर्गा को भोज लगाने के नियम
नवरात्रि के दौरान, भक्त देवी दुर्गा को विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भोग लगाने से मन में त्याग की भावना जागृत होती है। अगर आप भी नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा को भोग अर्पित करते हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि देवी दुर्गा को भोग लगाते समय किस मंत्र का जाप करना चाहिए।
देवी दुर्गा को कैसे लगाएं भोग
नवरात्रि के नौ दिनों में, भक्त देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों को नौ अलग-अलग प्रकार के भोग अर्पित करते हैं। हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि देवी को भोग लगाते समय किस मंत्र का जाप किया जाता है। आइए हम आपको देवी दुर्गा को भोग लगाने का मंत्र बताते हैं।
देवी दुर्गा के भोग मंत्र
नवरात्रि के दौरान देवी को भोग अर्पित करने के लिए, "त्वदीयं वस्तु गोविंद तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर" मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, आप प्रत्येक देवी के स्वरूप के लिए अलग-अलग मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जैसे शैलपुत्री के लिए "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः" और महागौरी के लिए "श्री क्लीं ह्रीं वरदाय नमः"।
भोग लगाते वक्त क्या कहना चाहिए?
देवी दुर्गा को भोग लगाने का मंत्र, "त्वदीयं वस्तु गोविंद तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वरा," का अर्थ है कि आप ईश्वर से कह रहे हैं कि आपके पास जो कुछ भी है वह ईश्वर का उपहार है, और आप उसे उन्हें वापस अर्पित कर रहे हैं। कृपया इसे स्वीकार करें और प्रसन्न हों।
देवी दुर्गा को भोग लगाते वक्त जरूर करें ये काम
नवरात्रि में माता रानी को भोग लगाते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आप देवी को भोग लगाने से पहले उस पर थोड़ा जल छिड़क सकते हैं और फिर मंत्र का जाप करते हुए भोग लगा सकते हैं।
भोग लगाने के बाद भोग का क्या करें?
माता रानी को भोग लगाने के बाद, भोग को मंदिर में न छोड़ें, क्योंकि इसे ज़्यादा देर तक वहीं रखने से उसमें नकारात्मक ऊर्जा का वास हो सकता है। ऐसे में, भोग लगाने के 5 से 15 मिनट बाद, भोग को हटाकर परिवार के सदस्यों में बांट देना चाहिए।
भोग के बिना क्यों अधूरी है पूजा
धार्मिक मान्यता है कि भगवान को भोग लगाने से अहंकार कम होता है, मन शुद्ध होता है और त्याग व दान की भावना का विकास होता है। भोजन करने से पहले भगवान को भोग लगाना आवश्यक है, क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी है।