सार

Shani Amavasya 2023: इस बार 21 जनवरी, शनिवार को साल 2023 की पहली शनिश्चरी अमावस्या है। ये दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन शनिदेव की पूजा और आरती करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

 

शनिदेव जब किसी पर नाराज होते हैं तो उसके सामने अचानक कई परेशानियां आ खड़ी होती हैं। इन समस्याओं से छुटकारा पाना आसान नहीं होता, इसके लिए शनिदेव की पूजा ही एकमात्र उपाय होता है। शनिदेव की पूजा यदि खास मौके पर की जाए तो और भी अच्छा रहता है। इस बार ऐसा ही शुभ योग 21 जनवरी, शनिवार को बन रहा है, क्योंकि इस दिन साल 2023 की पहली शनिश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya 2023) है। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए शनिदेव की पूजा विधि व आरती…


इस विधि से करें शनिदेव की पूजा (Shani Puja Vidhi On Shani Amavasya)
- 21 जनवरी, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर कुछ भी खाए नहीं, ऐसा करना संभव व हो तो फलाहार या दूध ले सकते हैं।
- दिन भर मन ही मन शनिदेव के मंत्रों का जाप करें। बुरे विचारों का त्याग करें। शाम को प्रदोष काल में यानी 6 बजे के बाद किसी साफ स्थान पर शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें या किसी शनि मंदिर में जाएं।
- शनिदेव की प्रतिमा पर सरसों या तिल के तेल से अभिषेक करें। इसके बाद शनिदेव पर काले तिल, काली उड़द, लोहे का टुकड़ा या कील आदि चीजें चढ़ाएं। पूजा के दौरान ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें।
- शनिदेव को नीले फूल अर्पित करें। उड़द की दाल व तिल की खिचड़ी का भोग विशेष रूप से लगाएं। ये भोग शनिदेव को अति प्रिय है। इसके बाद 11 या 21 दीपकों से शनिदेव की आरती करें।
- शनिदेव को लगाए भोग से ही अपना व्रत खोलें। संभव हो तो इसके बाद हनुमानजी के दर्शन भी करें और जरूरतमंदों को अपनी इच्छा अनुसार दान करें। इस पूजा विधि से शनिदेव की कृपा आप पर बनी रहेगी।


भगवान शनिदेव की आरती (Shanidev Aarti)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।


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