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Sheetla Puja 2023: चाहे जितना पानी डालो, नहीं भरता इस मंदिर में स्थापित घड़ा, जानें इससे जुड़ी मान्यता और परंपरा
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ये हैं देवी शीतला के 5 प्रसिद्ध मंदिर...
इस बार शीतला सप्तमी (Sheetla Saptami 2023) का पर्व 14 मार्च, मंगलवार को और 15 मार्च, बुधवार को शीतला अष्टमी (sheetala ashtami kab hai) का पर्व मनाया जाएगा। इन दोनों ही दिनों में देवी शीतला की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से शीतजन्य रोग जैसे फोड़े-फुंसी, चिकन पॉक्स आदि नहीं होते हैं। इस दिन ठंडा भोजन करने की भी परंपरा है। देवी शीतला के अनेक मंदिर हमारे देश में है, इनमें से कुछ बहुत ही खास हैं। शीतला पूजा के मौके पर हम आपको देवी शीतला के प्रमुख 5 मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं…
राजस्थान का शीतला माता मंदिर
राजस्थान के पाली जिले में देवी शीतला का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां एक घड़ा है जो एक पत्थर से ढंका रहता है। साल में सिर्फ दो बार चैत्र माह की शीतला अष्टमी और ज्येष्ठ पूर्णिमा पर इसे हटाया जाता है और लोग इस घड़े में पानी डालते हैं, लेकिन तब भी ये घड़ा पूरा नहीं भराता और जब मंदिर के पुजारी इस घड़े में दूध डालते हैं तो आश्चर्यजनक तरीके से ये घड़ा पूरा भर जाता है। कथा के अनुसार, किसी समय यहां एक राक्षस रहता था, उससे परेशान होकर लोगों ने मां शीतला की आराधना की। प्रसन्न होकर माता शीतला कन्या के रूप में प्रकट हुई और उन्होंने राक्षस का वध कर दिया। तब उस राक्षस ने माता से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे बहुत प्यास लगती है, इसलिए साल में दो बार उसे पानी पिलाया जाए। देवी ने उसे ये वरदान दे दिया। ये घड़ा उसी राक्षस का रूप माना जाता है।
जबलपुर का शीतला माता मंदिर
जबलपुर के घमापुर में भी देवी शीतला का मंदिर स्थित है। पहले कभी यहां एक नीम का पेड़ हुआ करता था, जिसके नीचे देवी शीतला की प्रतिमा स्थापित थी। बाद में सहयोग से यहां मंदिर बनवाया गया। स्थानीय लोगों का मानना है कि देवी शीतला ही इस पूरे क्षेत्र की रक्षा करती हैं। मान्यता है कि देवी शीतला की ये प्रतिमा गौड़कालीन है। लोग इस मंदिर में मन्नत के नारियल बांधते हैं। शीतला पूजा के मौके पर यहां हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है।
गुड़गांव का शीतला माता मंदिर
हरियाणा के गुडगांव में भी देवी शीतला का एक प्राचीन मंदिर है। ये मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां साल में दो बार एक-एक महीने का मेला लगता है। वर्तमान में जो मंदिर यहां स्थित है, वो लगभग 500 साल पुराना बताया जाता है। मान्यता है कि गुरु द्रोणाचार्य की पत्नी कृपी का ही रूप है देवी शीतला। मुगल काल में इस मंदिर को तोड़कर प्रतिमा तालाब में फेंक दी गई थी। बाद में माता ने एक भक्त को सपने में दर्शन और प्रतिमा निकालकर स्थापित करने को कहा। इसके बाद यहां इतना भव्य मंदिर बनवाया गया।
भोपाल का शीतला माता मंदिर
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी देवी शीतला का प्राचीन मंदिर हैं। इस मंदिर को लगभग 200 साल पुराना बताया जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित देवी शीतला की प्रतिमा खजूर के पेड़ से प्रकट हुई थी यानी ये मूर्ति स्वयंभू है। मान्यता है कि यहां स्थित माता के त्रिशूल पर चुनरी बांधने से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। खास मौकों पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
लखनऊ का शीतला माता मंदिर
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में मेहंदीगंज में देवी शीतला का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण यहां के नवाब के दीवान राजा टिकैत राय ने बनवाया था। इस मंदिर को कई बार आक्रांताओं ने नष्ट करने का प्रयास किया लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। यहां कई मौकों पर देवी की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। यहां नवरात्रि और होली पर एक विशेष प्रकार का मेला जिसे आथों का मेला कहते हैं, का आयोजन किया जाता है।
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