Tulsi Pujan Diwas 2025: हर साल की तरह इस साल भी 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाएगा। इस दिन तुलसी की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

Tulsi Pujan Diwas Puja Vidhi: हिंदू धर्म में तुलसी को सबसे पवित्र पौधा माना गया है। तुलसी से जुड़ी अनेक कथाएं भी हमारे पुराणों में मिलती है। तुलसी का महत्व हम उसी बात से समझ सकते हैं कि बिना तुलसी के पत्तों के भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को भोग नहीं लगाया जाता। तुलसी के महत्व को समझाने के लिए हर साल 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आगे जानिए तुलसी पूजन दिवस पर कैसे करें पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें और शुभ मुहूर्त की डिटेल…

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तुलसी पूजा के शुभ मुहूर्त (Tulsi Pujan Diwas 2025 Shubh Muhurat)

- सुबह 07:10 से 08:29 तक
- सुबह 08:29 से 09:48 तक
- दोपहर 12:06 से 12:48 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 12:27 से 01:46 तक
- दोपहर 04:25 से 05:44 तक

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तुलसी पूजन विधि (Tulsi Pujan Diwas Puja Vidhi)

- 25 दिसंबर, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। पूजा की सामग्री एक स्थान पर एकत्रित कर लें और अपनी इच्छा अनुसार ऊपर बताए किसी भी शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।
- सबसे पहले तुलसी के पौधे पर हार-फूल अर्पित करें फिर शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद कुंकुम, चावल, गुलाल, रोली अबीर आदि सामग्री एक-एक करके चढ़ाएं। हाथ जोड़कर तुलसी को प्रणाम करें और 7 बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय नीचे लिखा मंत्र बोलें-
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
- इस तरह तुलसी के पौधे की पूजा करने के बाद अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और कपूर से आरती करें। साथ ही तुलसी माता से घर में सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। इस तरह तुलसी दिवस पर तुलसी के पौधे की पूजा करने से आपकी हर परेशानी आसानी से दूर हो जाएगी।

तुलसी माता की आरती (Tulsi Ki Aarti)

जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥


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