Vaikuntha Chaturdashi Vrat Katha: इस बार वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व 4 नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और विष्णु दोनों की पूजा संयुक्त रूप से की जाती है। इस पर्व से जुड़ी एक रोचक कथा भी है जो धर्म ग्रंथों में बताई गई है।

Vaikuntha Chaturdashi Vrat Katha In Hindi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 4 नवंबर, मंगलवार को है। इस दिन भगवान शिव के साथ विष्णुजी की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से ये दोनों ही देवता प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की हर इच्छा पूरी करते हैं। इस पर्व से जुड़ी एक रोचक कथा भी है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। आगे जानिए वैकुंठ चतुर्दशी व्रत की रोचक कथा…

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वैकुंठ चतुर्दशी की कथा हिंदी में (Vaikuntha Chaturdashi Vrat Katha In Hindi)

शिवपुराण के अनुसार ‘एक बार भगवान विष्णु भगवान शिव की पूजा के लिए वाराणसी आए। यहां उन्होंने एक हजार कमल के फूलों से महादेव की पूजा करने का संकल्प लिया। भगवान विष्णु विधि-विधान से महादेव की पूजा करने लगे। मंत्र जाप के साथ-साथ वे एक-एक करके फूल शिवलिंग पर अर्पित करने लगे।

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उस समय महादेव के मन में भगवान विष्णु की परीक्षा लेने का विचार आया। इसके लिए उन्होंने उन 1 हजार कमल के फूलों में से एक फूल कम कर दिया। जब भगवान विष्णु की पूजा पूरी होने वाली थी, तभी उन्होंने पाया कि 1 हजार में से 1 कमल का फूल कम है। 1 कमल का फूल कम होने से विष्णुजी का संकल्प अधूरा रह जाता।
कुछ देर विचार करने के बाद भगवान विष्णु ने सोचा कि मेरा एक नाम कमलनयन भी है यानी मेरी आंखें भी कमल के ही समान है। ये सोचकर भगवान विष्णु ने अपनी एक आंख निकालकर महादेव को अर्पित कर दी और अपना संकल्प पूरा कर लिया। भगवान विष्णु की भक्ति देखकर महादेव बहुत ही प्रसन्न हुए।
महादेव ने प्रकट होकर भगवान विष्णु को उनकी एक आंख वापस लौटा दी और सर्वशक्तिशाली सुदर्शन चक्र भी उन्हें भेंट किया। उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। महादेव ने कहा कि ‘जो आज के दिन हम दोनों की संयुक्त रूप से पूजा करेगा। उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी होगी।
तभी से वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव के साथ विष्णुजी की पूजा संयुक्त रूप से की जा रही है। इस दिन भक्त वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर विशेष स्थान करते हैं, जिसे मणिकर्णिका स्नान कहा जाता है।


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।