सार

Vinayaki Chaturthi February 2023: विक्रम संवत 2079 का अंतिम विनायकी चतुर्थी व्रत 23 फरवरी, गुरुवार को किया जाएगा। इस दिन फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन कई शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाएगा।

 

उज्जैन. फाल्गुन हिंदू वर्ष का अंतिम महीना है। इस बार ये महीना 7 मार्च तक रहेगा। 23 फरवरी, गुरुवार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। (Vinayaki Chaturthi February 2023) यह विक्रम संवत 2079 यानी हिंदू वर्ष का अंतिम विनायकी चतुर्थी व्रत रहेगा। इस दिन 1-2 नहीं बल्कि 4 शुभ योग एक दिन बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए आगे जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे और पूजा विधि आदि…

हिंदू वर्ष की अंतिम चतुर्थी पर बनेंगे ये शुभ योग (Vinayaki Chaturthi February 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 23 फरवरी, गुरुवार की तड़के 03:24 से रात 01:33 तक रहेगी। चूंकि 23 फरवरी को दिन भर चतुर्थी तिथि रहेगी, इसलिए इसी दिन विनायकी चतुर्थी व्रत किया जाएगा। गुरुवार को रेवती नक्षत्र होने से मित्र नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा सवार्थसिद्धि, शुभ और शुक्ल नाम के 3 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। इस तरह 4 शुभ योग एक साथ होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाएगा। इस दिन चंद्रोदय 8.54 मिनिट पर होगा। स्थान के अनुसार समय में परिवर्तन हो सकता है।

इस विधि से करें विनायकी चतुर्थी व्रत-पूजा (Vinayaki Chaturthi February 2023 Puja Vidhi)
- 23 फरवरी, गुरुवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। जैसा व्रत आप करना चाहते हैं, वैसा ही संकल्प लें। जैसे एक समय फलाहार करना चाहते हैं तो वैसा और दिन भर निराहार रहना चाहते हैं तो वैसा के संकल्प लेना चाहिए।
- दिन भर संकल्प के अनुसार बीताएं और किसी भी तरह का कोई बुरा विचार मन में न लाएं। शाम को चंद्रोदय होने से ठीक पहले हाथ-पैर धोकर शुद्ध हो जाएं और घर में किसी साफ-सुथरे स्थान पर एक चौकी स्थापित करें। इसके ऊपर लाल या सफेद वस्त्र बिछाएं।
-इस चौकी के ऊपर भगवान श्रीगणेश का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। पहले तिलक लगाएं और फिर फूलों की माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक लगाने के बाद अबीर, कुंकुम, रोली, हल्दी आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। इसके बाद मौसमी फल व पकवानों का भोग लगाएं।
- पूजा में भगवान श्रीगणेश को दूर्वा भी विशेष रूप से अर्पित करें। इसके बाद जब चंद्रमा उदय हो तो जल से अर्ध्य दें और अपनी इच्छा अनुसार किसी ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


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