सार

Earthquqake In New zealand: 20 अप्रैल को साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण कई देशों में देखा गया। न्यूजीलैंड में इनमें से एक था और 24 अप्रैल की सुबह न्यूजीलैंड में भूकंप से झटके आए। ऐसा पहली बार नहीं है जब ग्रहण के बाद प्राकृतिक आपदा आई हो।

 

उज्जैन. साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को कई देशों में देखा गया। न्यूजीलैंड में ये ग्रहण देखा गया था और इसके 4 दिन बाद यानी 24 अप्रैल को वहां भूकंड के तगड़े झटके महूसस गए, जिसके चलते लोग दहशत में आए गए। (Earthquqake In New Zealand) ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी देश में ग्रहण के बाद इस तरह की प्राकृतिक आपदा आई हो। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। आगे जानिए क्या है ग्रहण और प्राकृतिक आपदाओं का कनेक्शन…

न्यूजीलैंड में 7.1 तीव्रता का भूकंप (New Zealand News)
24 अप्रैल की सुबह न्यूजीलैंड में भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को दहशत में ला दिया। भारतीय समय के अनुसार भूकंप सुबह 6.11 मिनट पर आया। भूकंप का केंद्र न्यूजीलैंड के केर्माडेक द्वीप था। इस भूकंप की तीव्रता 7.1 दर्ज की गई। वैज्ञानिकों ने भूकंप के बाद सुनामी की चेतावनी जारी की है।

ज्योतिष से जानें ग्रहण के प्राकृतिक आपदा का कारण?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, जब भी सूर्य या चंद्र ग्रहण होता है तो पृथ्वी पर इसका अशुभ असर जरूर होता है। या तो इसके बाद भूकंप आते हैं या फिर कोई अन्य प्राकृतिक आपदा आती है जिससे जान-माल का नुकसान होता है। ग्रहों का अशुभ स्थिति में होना इसका कारण है। राहु व केतु दोनों क्रूर ग्रह है। जब राहु सूर्य व चंद्रमा को ग्रसता है तो इन शुभ ग्रहों की शक्ति कम हो जाती है। इसी वजह से भूकंप जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं।

महाभारत युद्ध के दौरान भी हुए थे ग्रहण
महाभारत के अनुसार, जब कुरुक्षेत्र मैदान में पांडवों और कौरवों की सेना एक-दूसरे से युद्ध कर रही थी, उस समय भी ग्रहण हुए थे। जयद्रथ वध के दौरान दिन में अंधकार हो जाना इस बात को साबित करता है। महाभारत में युद्ध के दौरान ग्रहों की स्थिति का वर्णन भी मिलता है। उसके अनुसार युद्ध के दौरान एक के बाद एक लगातार 3 ग्रहण हुए थे, जिसके चलते इतना बड़ा नरसंहार हुआ था।

क्या कहती है वैज्ञानिक रिसर्च?
वैज्ञानिक भी ये मानते हैं ग्रहण के बाद भूकंप जैसी घटनाएं अधिक देखने को मिलती है। ऑस्ट्रेलिया के भूविज्ञानी रॉबर्ट बस्ट ने 2012 में एक रिपोर्ट में दावा किया था कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर पहले से अधिक प्रभाव डालने लगा है। चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से पृथ्वी पर हलचल तब और तेज हो जाती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं और ऐसा तब होता है जब ग्रहण होता है। इसलिए ग्रहण के बाद इस तरह की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती हैं।



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