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Palmistry: कितने प्रकार की होती हैं अंगुलियां और कैसी अंगुली वाले होते हैं किस्मत वाले और धनवान?
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4 प्रकार की होती हैं अंगुलियां
हस्तरेखा शास्त्र में अंगुलियों के आधार-प्रकार के बारे में काफी शोध किया गया है। अंगुलियां कितने प्रकार की होती है और किस प्रकार के अंगुली वाले लोगों का स्वभाव कैसा होता है, इसकी जानकारी भी हस्तरेखा शास्त्र (Palmistry) में पढ़ने को मिलती है। एशियानेट हिंदी अपने पाठकों के लिए हस्तरेखा की एक सीरीज शुरू की है, हस्तरेखा से जानें भविष्य। (types of fingers according to palmistry) इस सीरीज के पहले अंक में हमने आपको हाथों के विभन्न प्रकारों के बारे में बताया था, सीरिज के दूसरे अंक में हम आज आपको अंगुलियों के प्रकार के बारे में बता रहे हैं…
1. नोकदार अंगुली
ऐसी अंगुली वाले लोग दार्शनिक और कलाकार होते हैं। ये सोच-समझकर फैसला लेने वाले और हर कार्य कुशलता पूर्वक करते हैं। मगर इनमें आत्मविश्वास की कमी रहती है और ये थोड़े आलसी भी होते हैं। इस वजह से कई बार इन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। इनके पेट में कोई बात नही टिकती।
2. कौणिक अंगुली
जिन लोगों की अंगुली का आगे का भाग ऐसा रहता है वे लोग कारीगर होते हैं। ये जो भी काम करते हैं, उसमें विशेष उपलब्धि प्राप्त करते हैं। ये हर काम पूरी तरह से परफेक्ट करने में विश्वास रखते हैं। ये दिल की मानते हैं। ये कभी अतिप्रसन्न तो कभी अति निराश हो जाते हैं। ऐसे लोग किस्मत के भी धनी होते हैं।
3. समकोण अंगुली
जिस व्यक्ति की अंगुली का आगे का भाग वर्गाकार या समकोण होता है। वह व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है। उसे हर काम समय पर करना पसंद होता है। ऐसे लोग साहित्यकार और कलाकार होते हैं। ये अपना काम नियमित रूप से करते हैं। काम टालने की आदत इनमें नहीं होती।
4. चमसाकार अंगुली
जिस व्यक्ति की अंगुलियां चपटी चम्मच की तरह फैली हुई होती हैं, वह कम विचार करने वाला और अत्यधिक कार्यशील रहता है। इनमें आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा होता है। ये हर काम बड़ी लगन से करते हैं। ऐसे लोग वैज्ञानिक या लेखक हो सकते हैं। ये सभ्य नागरिक होते हैं। इनके पास धन की कोई कमी नहीं होती।
लेखक परिचय
राजेन्द्र गुप्ता ज्योतिष जगत में एक जाना-पहचाना नाम है। आप वर्तमान में अजमेर (राजस्थान) में रहकर हस्तरेखा विषय पर निरंतर शोधपरक कार्य कर रहे हैं। आपने एम.ए. दर्शनशास्त्र में स्वर्णपदक प्राप्त किया है। साथ ही इतिहास और राजनीति शास्त्र विषयों पर भी आपने एम. ए. किया है। साहित्यागार प्रकाशन जयपुर से हिंदी व्याकरण पर आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। रेडियो-टीवी पर भी आपकी कई खोजपरक रिपोर्ट और वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।