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Mahashivratri 2024: पांडवों ने की थी इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना, सिर्फ 6 महीने होते हैं दर्शन, कन्नड़ भाषा में होती है पूजा-पाठ

Mahashivratri 2024 Kab hai:12 ज्योतिर्लिगों में पांचवें स्थान पर आता है केदारनाथ। इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी अनेक मान्यताएं इसे खास बनाती हैं। शीत ऋतु के दौरान केदारनाथ मंदिर बर्फ से ढंका रहता है और यहां तक पहुंचने के रास्ते भी बंद हो जाते हैं। 

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Manish Meharele
Published : Feb 24 2024, 04:27 PM IST
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जानें केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें
Image Credit : wikipedia

जानें केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें

Special things related to Kedarnath Jyotirlinga: केदारनाथ का नाम सुनते ही बर्फ से ढंके ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों का नजारा दिखाई देने लगता है। ये 12 ज्योतिर्लिंगों में से पांचवें स्थान पर आता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण द्वापरयुग में पांडवों ने करवाया था। बाद में आदि गुरु शंकराचार्य जब इस स्थान पर आए तो उन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। मंदिर के पास ही शंकराचार्य का समाधि स्थल भी है। महाशिवरात्रि (8 मार्च) के मौके पर जानिए केदारनाथ मंदिर से जुड़ी खास बातें…

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ऐसा है केदारनाथ मंदिर का स्वरूप
Image Credit : wikipedia

ऐसा है केदारनाथ मंदिर का स्वरूप

केदारनाथ मंदिर पूरी तरह से पत्थरों से बना है। यहां स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। यह मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मंदिर के मुख्य भाग में मण्डप, गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा पथ है। प्रांगण में नंदी विराजमान हैं। मंदिर में पांचों पांडवों की मूर्तियां हैं। वर्तमान में इस मंदिर का कायाकल्प इसे और मजबूती दी गई है। मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत भी चढ़ाई जा रही है।

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ऐसे हुई केदारनाथ मंदिर की स्थापना (Story of Kedarnath Jyotirlinga)
Image Credit : twitter

ऐसे हुई केदारनाथ मंदिर की स्थापना (Story of Kedarnath Jyotirlinga)

- पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों पर अपने ही परिजनों की हत्या का पाप लगा, इस पाप से मुक्त होने के लिए वे केदार क्षेत्र में भगवान शिव के दर्शन करने आए।
- लेकिन शिवजी उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे बैल का रूप धारण कर यहां से जाने लगे। भीम ने महादेव को इस रूप में भी पहचान लिया और वे शिवजी को पकड़ने के लिए भागे।
- भीम सिर्फ बैल (शिवजी) के पृष्ठ भाग यानी पीठ का हिस्सा ही पकड़ सके। इस बात से दुखी होकर पांडव इसी स्थान पर तपस्या करने लगे, लेकिन फिर भी शिवजी ने उन्हें दर्शन नहीं दिए।
- काफी समय बाद आकाशवाणी के माध्यम से महादेव ने उनसे कहा कि ‘मेरे जिस पृष्ठ भाग को भीम ने पकड़ा था, उसी को शिला रूप में स्थापित कर पूजा करो। पांडवों ने ऐसा ही किया।
- ऐसी मान्यता है कि शिवजी के बैल रूप का पृष्ट भाग ही वर्तमान में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। केदारनाथ के दर्शन मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है।

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शीत ऋतु में बंद रहते हैं केदारनाथ के पट
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शीत ऋतु में बंद रहते हैं केदारनाथ के पट

शीत ऋतु के दौरान ये क्षेत्र पूरी तरह से बर्फ से ढंक जाता है, यहां तक आना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में केदारनाथ के कपाट बंद किए जाते हैं और भगवान केदारनाथ को प्रतीक स्वरूप पालकी में बैठाकर उखीमठ लाया जाता है। 6 महीने तक केदारनाथ भगवान उखीमठ में ही दर्शन देते हैं। केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी को रावल कहते हैं, ये कर्नाटक के वीरा शैव जंगम समुदाय के होते हैं। यहां सभी धार्मिक अनुष्ठान कन्नड़ भाषा में करवाए जाते हैं।

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कैसे पहुंचे केदारनाथ? (How to reach Kedarnath Jyotirlinga?)
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कैसे पहुंचे केदारनाथ? (How to reach Kedarnath Jyotirlinga?)

- केदारनाथ चंडीगढ़ से (387), दिल्ली से (458), नागपुर से (1421), बेंगलुरू से (2484), ऋषिकेश से (189) किमी पड़ता है। यहां से आप सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं।
- आप हरिद्वार, कोटद्वार, देहरादून तक ट्रेन के जरिए भी जा सकते हैं। नईदिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, अमृतसर से सबसे अच्छी कनेक्टिविटी हरिद्वार रेलवे स्टेशन की है।
- केदारनाथ से नजदीक हवाई अड्डा जौली ग्रांट 246 किलोमीटर दूरी पर स्थित है, यहां से सड़क मार्ग द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।
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