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- Mahashivratri 2024: रोज रात यहां ‘चौपड़’ खेलते आते हैं शिव-पार्वती, इस मंदिर के दर्शन बिना पूरी नहीं होती तीर्थ यात्रा
Mahashivratri 2024: रोज रात यहां ‘चौपड़’ खेलते आते हैं शिव-पार्वती, इस मंदिर के दर्शन बिना पूरी नहीं होती तीर्थ यात्रा
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जानिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
Interesting things related to Omkareshwar Jyotirlinga: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे एक पड़ाही पर है स्थित है 12 में से चौथा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर। कुछ ग्रंथों में इसे ममलेश्वर भी कहा गया है। नर्मदा के तट पर जितनी भी मंदिर हैं, उन सभी में ओंकारेश्वर को सबसे श्रेष्ठ तीर्थ कहा गया है। नर्मदा नदी का महत्व भी कुछ कम नहीं है। मान्यता है कि यमुना में 15 दिन का स्नान तथा गंगा में 7 दिन का स्नान जो फल प्रदान करता है, उतना पुण्यफल नर्मदा के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है। नर्मदा को भगवान शिव की पुत्री भी माना जाता है।
क्या है ओंकारेश्वर मंदिर का रहस्य? (What is the secret of Omkareshwar temple?)
ओंकारश्वर मंदिर से एक बहुत ही खास परंपरा और मान्यता जुड़ी हुई है, वो ये है कि यहां रोज रात को भगवान शिव और देवी पार्वती आते हैं और चौपड़ खेलते हैं। इसी मान्यता के चलते पुजारी गर्भगृह बंद करने से पहले यहां चौपड़ रखते हैं और अगली सुबह जब मंदिर खोला जाता है तो यह चौपड़ बिखरा हुआ मिलता है। चौपड़ एक प्राचीन खेल है जो राजा-महाराज खेला करते थे।
ऐसा है मंदिर का स्वरूप
ओंकारेश्वर मंदिर 5 मंजिला है। इसकी हर मंजिल पर अलग-अलग देवी-देवताओं के मंदिर हैं। यहां नक्काशीदार पत्थरों के करीब 60 बड़े-बड़े खंभे हैं। वैसे तो ये मंदिर अति प्राचीन है, समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार भी होता आया है। वर्तमान में जो मंदिर दिखाई देता है उसे मालवा के परमार राजाओं ने बाद में मराठा राजाओं ने बनवाया है।
ये बातें भी हैं खास
जिस पर्वत पर यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है वहां ऊँ की आकृति दिखाई देती है। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम ओंकारेश्वर है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, यहां 68 तीर्थ स्थित हैं। यहां 33 करोड़ देवता परिवार सहित निवास करते हैं। मान्यता है कि कोई भी तीर्थयात्री देश के भले ही सारे तीर्थ कर ले, किन्तु जब तक वह ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल लाकर यहां नहीं चढ़ाता, उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं।
ये है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा (Story of Omkareshwar Jyotirlinga)
- शिवपुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की जो कथा है, वो इस प्रकार है ‘प्राचीन समय में मांधाता नाम के एक तपस्वी राजा थे। वे भगवान शिव के परम भक्त थे। उन्होंने नर्मदा के किनारे पहाड़ी पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया।
- राजा मांधाता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने राजा से वरदान मांगने को कहा। राजा मांधाता ने कहा कि ‘आप इसी स्थान पर निवास कीजिए।’ भक्त की इच्छा पर भगवान शिव यहां लिंग रूप में स्थापित हो गए।
- मान्यता है कि यहां दर्शन-पूजन करने से भक्तों को शिव जी की कृपा तो मिलती ही है और साथ ही जीवन में चल रही समस्याएं भी हल हो जाती हैं। अटके काम शुरू हो जाते हैं और अशांत मन शांत हो जाता है।
कैसे पहुंचे ओंकारेश्वर? (How to reach Omkareshwar?)
- यहां से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर में है। जो करीब 80 किमी है। यहां से टैक्सी और बस से ओंकारेश्वर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- इंदौर से खंडवा जाने वाली छोटी लाइन से ओंकारेश्वर जाने के लिए ओंकारेश्वर रोड नामक स्टेशन पर उतरें। वहां से ओंकारेश्वर के लिए आसानी से बसें व अन्य साधन मिल जाते हैं।
- ओंकारेश्वर सड़क मार्ग से भी पूरे देश से जुड़ा हुआ है। मध्य प्रदेश के किसी भी शहर या जिले से यहां सीधे पहुंचा जा सकता है।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।