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Nagpanchami 2023: रहस्यमयी हैं ये 5 नाग मंदिर, कोई खुलता है सिर्फ 1 दिन तो कहीं है 30 हजार से ज्यादा नाग प्रतिमाएं

Nagpanchami 2023: आज 21 अगस्त, सोमवार को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन नागदेवता की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। वैसे तो हमारे देश में नागदेवता के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कुछ बेहद खास हैं। नागपंचमी पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है। 

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Manish Meharele
Published : Aug 21 2023, 06:30 AM IST
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ये हैं प्रसिद्ध नाग मंदिर
Image Credit : Getty

ये हैं प्रसिद्ध नाग मंदिर

उज्जैन. हर साल श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि को नागपंचमी (Nagpanchami 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 21 अगस्त, सोमवार को है। सोमवार को नागपंचमी होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन प्रमुख नाग मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। वैसे तो हमारे देश में अनेक नाग मंदिर हैं, लेकिन में कुछ काफी रहस्यमयी हैं। (famous Nag Mandir) आज हम आपको ऐसे ही 5 नाग मंदिरों के बारे में बता रहे हैं…

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 स्कंद पुराण में इस मंदिर का वर्णन
Image Credit : google

स्कंद पुराण में इस मंदिर का वर्णन

महर्षि वेदव्यास ने स्कंद पुराण के मानस खण्ड के 83 वें अध्याय में धौलीनाग की महिमा का वर्णन करते हुए लिखा है-
धवल नाग नागेश नागकन्या निषेवितम्।
प्रसादा तस्य सम्पूज्य विभवं प्राप्नुयात्ररः।।
ये मंदिर उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में स्थित है। वैसे तो रोज यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है पर नाग पंचमी पर यहां का माहौल देखने लायक होता है। इस दिन यहां मेला भी लगता है। मान्यताओं के अनुसार, धौलीनाग महाभारत में बताए गए कालिया नाग के पुत्र हैं।

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नवनागों में से एक है कर्कोटक
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नवनागों में से एक है कर्कोटक

कर्कोटक नाग प्रमुख नवनागों में से एक है। इनके नाम पर नैनीताल के भीमताल में एक मंदिर है, जिसे कर्कोटक नाग मंदिर कहते हैं। ये मंदिर यहां के सबसे ऊंचे पहाड़ पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए घने जंगल और उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरना पड़ता है। इस मंदिर से जुड़ी कई किवदंतियां और मान्यताएं इसी रहस्यमयी बनाती हैं।

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यहां है 30 हजार से ज्यादा नाग प्रतिमाएं
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यहां है 30 हजार से ज्यादा नाग प्रतिमाएं

ये मंदिर केरल में अलेप्पी नामक स्थान से 37 कि.मी से स्थित है। ये महाभारत काल का बताया जाता है। ये मंदिर लगभग 16 एकड़ में फैला हुआ है और मंदिर के हर कोने हर हिस्से में सांप की प्रतिमा है, जिनकी संख्या लगभग 30,000 से भी ज्यादा है। नागपंचमी पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

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यहां तक्षक नाग ने की थी तपस्या
Image Credit : google

यहां तक्षक नाग ने की थी तपस्या

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। ये 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा है। इसके सबसे ऊपरी तल पर स्थित है नागचंद्रेश्वर मंदिर। खास बात ये है कि ये मंदिर साल में सिर्फ एक बार ही नागपंचमी पर खुलता है। मान्यता है कि इसी स्थान पर तक्षक नाग ने तपस्या की थी और महादेव ने उसे इसी स्थान पर रहने का वरदान दिया था।

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1 हजार साल पुराना है ये नाग मंदिर
Image Credit : google

1 हजार साल पुराना है ये नाग मंदिर

वासुकि नागों के राजा हैं। इनके नाम पर जम्मू के डोडा जिले में वासुकि नाथ मंदिर स्थित है। ये मंदिर ग्यारहवीं शताब्दी का है, ऐसी मान्यता है। इस गणना से ये मंदिर लगभग 1 हजार साल पुराना है। मंदिर से कुछ दूर एक कुंड भी है, जिसे वासुकि कुंड कहा जाता है। इस मंदिर से कई कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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