आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को विजया पार्वती व्रत किया जाता है। इसे मंगला तेरस भी कहते हैं। इस बार ये व्रत 22 जुलाई, गुरुवार को है।
आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस बार गुरु पूर्णिमा मनाए जाने को लेकर मतभेद है।
20 जुलाई, मंगलवार से चातुर्मास की शुरूआत हो चुकी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन 4 महीनों में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं।
हमारे धर्म ग्रंथों में लाइफ मैनेजमेंट से जुड़े कई सूत्र बताए गए हैं। ये सूत्र आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। जो व्यक्ति इन बातों का ध्यान रखता है, उसे अपने जीवन में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, तिजोरी का स्थान कुबेर देव का स्थान है। तिजोरी में धन की देवी मां लक्ष्मी का निवास स्थान माना जाता है। इसलिए तिजोरी का स्थान शुभ दिशा में होना चाहिए।
हिंदी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वासुदेव द्वादशी कहते हैं। इस बार ये तिथि 21 जुलाई, बुधवार को है।
आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। ये पर्व आज (20 जुलाई, मंगलवार) है। इस दिन से भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में रहते हैं। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है।
आचार्य चाणक्य बहुत बड़े विद्वान थे। उन्हें कूटनीति और अर्थशास्त्र का सबसे बड़ा ज्ञाता माना जाता है। उन्होंने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े सभी पहुलओं के बारे में बताया है।
उज्जैन. आज (20 जुलाई, मंगलवार) आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीनों के लिए विश्राम करने पाताल लोक चले जाते हैं। इसके बाद 4 महीनों तक मांगलिक कार्यों पर भी रोक लग जाती है। उज्जैन के ज्योतिषचार्य पं. प्रफुल्ल भटट के अनुसार, इस दिन राशि अनुसार उपाय करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आगे जानिए इन उपायों के बारे में…
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव मनुष्यों को उसके पापों का दंड देते हैं। अगर किसी व्यक्ति पर शनि की दृष्टि पड़ जाए, तो वह राजा से रंक बन जाता है। जिन लोगों पर इनकी कृपा दृष्टि पड़ती है, उनकी किस्मत खुलने में देर नहीं लगती।