उज्जैन. श्रीमद्भागवत में श्रीकृष्ण ने पीपल को स्वयं का ही एक स्वरूप बताया है। इसी वजह से पीपल की पूजा से सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं, सुख, ऐश्वर्य की प्राप्त हो सकते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, पीपल की पूजा से सभी ग्रहों के दोष दूर हो सकते हैं। यहां जानिए पीपल की पूजा की सामान्य विधि…
- सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र पहनें। पीपल की जड़ में गाय का दूध, तिल और चंदन मिला हुआ पवित्र जल अर्पित करें।
- जल अर्पित करने के बाद जनेऊ फूल व प्रसाद चढ़ाएं। धूप-बत्ती व दीप जलाएं। आसन पर बैठकर या खड़े होकर ये मंत्र बोलें-
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
- मंत्र जाप के बाद आरती करें। प्रसाद ग्रहण करें। पीपल की जड़ में अर्पित थोड़ा सा जल घर में लाकर छिड़कें। इस प्रकार पीपल की पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
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