25 मार्च, बुधवार से चैत्र नवरात्रि शुरू हो चुका है, जो 2 अप्रैल, गुरुवार तक रहेगी।
वीडियो डेस्क। धर्म शास्त्रों के अनुसार देवी शक्ति की उपासना नवरात्रि में पूरे विधि-विधान से की जाए तो सभी सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में विभिन्न प्रकार से देवी की पूजा के बारे में उल्लेख किया गया है। देवी भागवत (स्कंध 11
वीडियो डेस्क। चैत्र नवरात्रि से जुड़ी अनेक परंपराएं है। उन्हीं में से एक है जवारे बोने की। नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के एक पात्र में जवारे के बीज बोए जाते हैं। नौ दिन में ये जवारे हरी पत्तियों के रूप में बदल जाते हैं। इस परंपरा के पीछे सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं। नवरात्रि के दौरान
चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 25 मार्च, बुधवार से हो चुकी है, जिसका समापन 2 अप्रैल, गुरुवार को होगा।
नवरात्रि में मुख्य रूप से देवी भगवती की उपासना की जाती है। देवी भगवती ने असुरों का वध करने के लिए कई अवतार लिए।
वीडियो डेस्क। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से माता पार्वती व भगवान शंकर की पूजा की जाती है। इन्हें ईसर-गौर भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है (ईश्वर-गौरी)। यह कुंवारी और विवाहिता स्त्रियों का त्योहार है। इस बार यह पर्व
वीडियो डेस्क। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक वासंती नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 25 मार्च से 2 अप्रैल तक मनाया जाएगा। इन नौ दिनों तक अगर कोई व्यक्ति राशि अनुसार
धर्म ग्रंथों में शंख को देवी महालक्ष्मी का भाई माना गया हैं, क्योंकि दोनों की ही उत्पत्ति समुद्र से हुई थी। यही कारण है कि अनेक ज्योतिष और तंत्र के उपायों में शंख का उपयोग किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि में किए गए कुछ विशेष उपायों से धन, नौकरी, स्वास्थ्य, संतान, विवाह, प्रमोशन आदि कई मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
चैत्र शुक्ल द्वितीया से सिंधी नववर्ष का आरंभ होता है। इसे चेटीचंड के नाम से जाना जाता है।