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Sheetala puja 2023: चैत्र मास में ही क्यों करते हैं शीतला माता की पूजा? जानें इस परंपरा में छिपे विज्ञान को
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जानें शीतला पूजा से जुड़ी खास बातें...
हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। देवी शीतला (Sheetala puja 2023) भी इनमें से एक है। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि पर देवी शीतला की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार शीतला सप्तमी (Sheetla Saptami 2023) 14 मार्च, मंगलवार और शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami 2023) का पर्व 15 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन और भी कई परंपराओं का पालन किया जाता है। चैत्र मास में ही देवी शीतला की पूजा विशेष रूप से क्यों की जाती है, इस परंपरा के पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य छिपे हैं। आगे जानिए इस परंपरा और इससे जुड़ी खास बातें…
चैत्र मास में ही क्यों करते हैं देवी शीतला की पूजा?
चैत्र मास दो ऋतुओं के संधिकाल के मौके पर आता है। इस समय शीत ऋतु की समाप्ति होती है और ग्रीष्म ऋतु का आरंभ होता है। आयुर्वेद के दृष्टिकोण से ये समय शरीर में कफ की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे कई तरह की बीमारियां होने के खतरा बना रहता है। शीत ऋतु से संबंधित ये रोग शरीर पर गहरा असर डालते हैं। देवी शीतला को शीत की देवी माना जाता है। मान्यता है कि इस मौसम में देवी शीतला की पूजा से शीत से संबंधित बीमारियां नहीं होती।
इस दिन क्यों खाते हैं ठंडा खाना?
शीतला माता की पूजा में गर्म नहीं बल्कि ठंडा भोजन भोग के रूप में चढ़ाया जाता है और बाद में इसे ही स्वयं भी खाते हैं। यानी इस दिन ठंडा भोजन करने की परंपरा है। ये परंपरा हमारे पूर्वजों ने इसलिये बनाई ताकि वो जानते थे कि इस मौसम में ठंडा भोजन ही हमारे शरीर के लिए ठीक रहता है। गर्म भोजन शरीर में कई तरह के रोग उत्पन्न कर सकता है।
किस रोग को क्यों मानते हैं माता का रूप?
हिंदू धर्म में अनेक मान्यताएं हैं, इनमें से एक मान्यता चिक्स पॉक्स बीमारी से भी जुड़ी है। इस बीमारी को शीतला माता का ही रूप माना जाता है। कहते हैं कि जिस व्यक्ति पर देवी शीतला का प्रकोप होता है, उसे ही ये रोग हो जाता है। इस बीमारी में सारे शरीर पर फोड़े-फूंसी और घाव हो जाते हैं। साथ ही काफी खुजली भी होती है। उस वक्त रोगी को ठंडक चाहिए होती है। इसके लिए देवी शीतला की पूजा विशेष रूप से की जाती है ताकि शीतला माता की कृपा से वह ठीक हो जाएं।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।