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Traditions Of Holi: ये हैं होली से जुड़ी 5 सबसे खतरनाक परंपराएं, जरा-सी चूक ले सकती है किसी की भी जान

Traditions Of Holi: हिंदू धर्म में ऐसा कोई त्योहार नहीं है, जिसके साथ कोई न कोई परंपरा जुड़ी न हो। होली भी इन त्योहारों में से एक है। देश के अलग-अलग हिस्सों में होली की विचित्र परंपराएं निभाई जाती है, इनमें से कुछ तो बहुत खतरनाक हैं। 

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Manish Meharele
Published : Mar 04 2023, 05:45 AM IST| Updated : Mar 04 2023, 02:56 PM IST
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ये हैं होली से जुड़ी रिस्की परंपराएं...
Image Credit : Getty

ये हैं होली से जुड़ी रिस्की परंपराएं...

फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन धुरेड़ी (होली) पर्व मनाया जाता है। इस बार होलिका दहन (holika dahan 2023) 7 मार्च और धुरेड़ी (Holi 2023) 8 मार्च को मनाई जाएगी। होली से जुड़ी कई अजीबोगरीब परंपराएं है। इनमें से कुछ तो इतनी खतरनाक हैं कि इसमें किसी की जान भी जा सकती है। लेकिन बहुत कम लोग होली से जुड़ी इन परंपराओं के बारे में जानते हैं क्योंकि ये सभी स्थानीय तौर पर मनाई जाती हैं। (Traditions Of Holi) आज हम आपको होली से जुड़ी कुछ ऐसी ही परंपराओं के बारे में बता रहे हैं जिनके बारे में जानकर आप दातों तले उंगलियां दबा लेंगे। आगे जानिए होली से जुड़ी ऐसी ही 5 खतरनाक परंपराओं के बारे में…
 

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यहां खेली जाती है खूनी होली
Image Credit : google

यहां खेली जाती है खूनी होली

राजस्थान के बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले में रहने वाले आदिवासी जनजाति के लोग होली पर बहुत ही खतरनाक परंपरा निभाते हैं, इसे खूनी होली भी कहा जाता है। इस मौके पर पहले लोग जलते हुए अंगारों पर चलते हैं और बाद में वे दो अलग-अलग टोलियों में बंट जाते हैं। ये दोनों टोलियां एक-दूसरे को दुश्मन समझकर पत्थर बरसाने लगती है। इस परंपरा के दौरान कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हो जाते हैं। ऐसा भी कहते हैं कि जिन लोगों को इस दौरान खून निकलता है, उनका आने वाला समय ठीक रहता है। 
 

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यहां 60 फीच ऊंचे मचान पर झूलाते हैं झूला
Image Credit : google

यहां 60 फीच ऊंचे मचान पर झूलाते हैं झूला

होली के मौके पर सिवनी जिले के पांजरा गांव में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, होलिका दहन के दूसरे दिन यानी धुरेड़ी पर यहां मेघनाद मेले का आयोजन किया जाता है। रावण के पुत्र मेघनाद के प्रतीक के रूप में 60 फीट ऊंची मचान बनाई जाती है। इसके ऊपर लकड़ी से एक बड़ी चकरी बनाई जाती है। जिस व्यक्ति की मन्नत पूरी हो जाती है, वो उस चकरी के एक सिरे पर बांधकर झूले की तरह घूमाया जाता है। ये दृश्य देखकर ही सिर चकराने लगता है, लेकिन जिनकी मन्नतें पूरी होती हैं, उन्हें वे हंसते-हंसते ये काम करते हैं।
 

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यहां मनाते हैं बिच्छू होली
Image Credit : google

यहां मनाते हैं बिच्छू होली

उत्तर प्रदेश के सौथना में होली पर बिच्छू होली मनाई जाती है। बिच्छू का नाम सुनकर ही मन में डर बैठ जाता है, लेकिन यहां के लोग होली पर नाचते-गाते हुए यहीं स्थित भैसान टीले पर जाते हैं और यहां बिच्छुओं को पकड़कर अपने हाथ पर रख लेते हैं। खास बात यह ये कि ये इस दिन जहरीले बिच्छू भी किसी को डंक नहीं मारते। बिच्छू पकड़ने वालों में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल रहते हैं। ये परंपरा सालों से चली आ रही है। इस परंपरा को बिच्छू होली के नाम से जाना जाता है।
 

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यहां धधकते अंगारों पर चलते हैं लोग
Image Credit : google

यहां धधकते अंगारों पर चलते हैं लोग

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सिलवानी क्षेत्र में होलिका दहन के मौके लोग धधकते हुए अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं। इसमें बच्चे, बूढ़े महिलाएं सभी शामिल होते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि ये परंपरा कई सौ सालों के चली आ रही है। लोग इस परंपरा में काफी विश्वास करते हैं और मानते हैं कि ऐसा करने से उनके परिवार पर कोई मुसीबत नहीं आएगी। आज तक इस परंपरा में किसी को भी गंभीर चोट नहीं आई है। इस दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
 

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यहां पंडाजी करते हैं अग्नि स्नान
Image Credit : google

यहां पंडाजी करते हैं अग्नि स्नान

होली पर मथुरा की रौनक देखते ही बनती है। इस मौके पर यहां एक खतरनाक परंपरा भी निभाई जाती है। यहां फालैन गांव में होलिका दहन की रात मंदिर का पंडा जलती हुई अग्नि में से निकलता है। इस दृश्य के बारे में सोचकर ही डर लगने लगता है लेकिन इस परंपरा के दौरान आज तक किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है। वर्तमान में मोनू पंडा इस परंपरा को निभा रहे हैं, वे 10 बार जलती हुई होली में से निकल चुके हैं। 


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।
 



 

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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