सार
जीवन को सुखी और सफल बनाने के लिए पुराणों में कई नीतियां बताई गई हैं। जो लोग इन नीतियों का पालन करते हैं, उनके जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। गरुड़ पुराण 18 पुराणों में से एक है।
उज्जैन. इस पुराण के आचारकांड में नीतिसार नाम का एक अध्याय है। इस अध्याय में बताया गया है कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। नीतिसार में 4 ऐसी आदतों के बारे में बताया गया है, जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में परेशानियों का कारण बन सकती हैं। जानिए ये 4 आदतें कौन-कौन सी हैं...
पहली गलत आदत
नीतिसार के अनुसार वेद-पुराण और शास्त्र पूजनीय हैं। इनसे हमें ज्ञान मिलता है। धर्म और अधर्म की जानकारी मिलती है। इसीलिए वेदों का अपमान करना पाप कर्म माना गया है। इस कर्म से बचना चाहिए।
दूसरी गलत आदत
कुछ लोग खुद की तारीफ करते रहते हैं। ये आदत व्यक्ति को अहंकारी बना देती है। ऐसे लोग खुद को श्रेष्ठ और दूसरों को तुच्छ समझते हैं। अहंकारी व्यक्ति को मान-सम्मान नहीं मिल पाता है। अहंकार की वजह से ही रावण और दुर्योधन मारे गए। इस आदत से बचें।
तीसरी गलत आदत
जो लोग भगवान और धर्म में आस्था नहीं रखते, माता-पिता का सम्मान भी नहीं करते, वे हमेशा दुखी रहते हैं। ऐसे लोग जीवन में कभी भी सुख-शांति प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इनका मन हमेशा अशांत रहता है।
चौथी गलत आदत
दूसरों की बुराई करना भी गलत आदत है। किसी का अपमान और बुराई करना भी पाप कर्म माना गया है। इस आदत की वजह से व्यक्ति खुद की कमियां भूल जाता है और दूसरों की कमियां देखने लगता है। अगर व्यक्ति स्वयं में सुधार नहीं करेगा तो वह कभी भी सफलता हासिल नहीं कर पाएगा।