सार
कुंडली का एक ऐसा योग बताया गया है, जिसकी वजह से व्यक्ति को धन संबंधी परेशानियां भोगनी पड़ती है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ये योग बनता है तो उसके परिवार के धनी होने के बाद भी वह गरीब हो जाता है। इस योग को केमद्रुम योग कहा जाता है और ये चंद्र के अशुभ होने पर बनता है।
केमद्रुम योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति निर्धनता एवं दुख भोगता है। दैनिक जीवन की जरूरतें पूरी करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मन में भटकाव एवं असंतुष्टी की स्थिति बनी रहती है। व्यक्ति हमेशा दूसरों पर निर्भर रहता है। पारिवारिक सुख में कमी रहती है। ऐसे व्यक्ति दीर्घायु होते हैं, लेकिन जीवन में संघर्ष अधिक रहता है।
केमद्रुम योग के बार में लिखा है कि-
योगे केमद्रुमे प्रापो यस्मिन कश्चि जातके।
राजयोगा विशशन्ति हरि दृष्टवां यथा द्विषा:।।
इस श्लोक का अर्थ यह है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बहुत से राजयोग हों और केमद्रुम योग भी हो तो सभी राजयोग निष्फल हो जाते हैं। यानी केमद्रुम योग राजयोगों के प्रभाव को समाप्त कर देता है।
ऐसा है केमद्रुम योग का असर
इस योग के असर से व्यक्ति पत्नी, संतान, धन, घर, वाहन, व्यवसाय, माता-पिता आदि से सुख प्राप्त नहीं कर पाता है। यह एक अशुभ योग है। यदि कोई बहुत धनवान परिवार से संबंधित है और उसकी कुंडली केमद्रुम योग है तो वह धन का सुख प्राप्त नहीं कर पाएगा।
ऐसे बनता है केमद्रुम योग
1. कुंडली में जब चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश इन दोनों भावों में कोई ग्रह न हो तो केमद्रुम योग बनता है।
2. चंद्र की किसी ग्रह से युति न हो या चंद्र पर किसी शुभ की दृष्टि नहीं पड़ रही हो तो केमद्रुम योग बनता है।
3. केमद्रुम योग में छाया ग्रह राहु-केतु की गणना नहीं की जाती है।