सार
अभी अगहन मास चल रहा है, जो 12 दिसंबर तक रहेगा। इस माह में सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए।
उज्जैन. इस काम से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से मन शांत होता है, आलस्य दूर होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है। भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और सांब के सूर्य संबंधित संवाद हैं।
प्रत्यक्ष देवता हैं सूर्य
सांब श्रीकृष्ण के पुत्र थे। इस संवाद में श्रीकृष्ण ने सांब को सूर्य पूजा की महिमा बताई है। श्रीकृष्ण ने सांब को बताया कि सूर्य एकमात्र प्रत्यक्ष देवता हैं। सूर्य भगवान को सीधे देखा जा सकता है। जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं सूर्य देव पूरी करते हैं। श्रीकृष्ण ने कहा कि सूर्य की पूजा के प्रभाव से ही उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है।
तांबे के लोटे से चढ़ाना चाहिए सूर्य को जल
भविष्य पुराण के अनुसार, रोज सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।
जल अर्पित करते समय सूर्य मंत्र का जाप करें। इस जाप के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करना चाहिए। सूर्य मंत्र - ऊँ खखोल्काय स्वाहा। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
इस प्रकार सूर्य पूजा करने के बाद धूप, दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। अपनी श्रद्धानुसार इन चीजों में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। इससे कुंडली में सूर्य के दोष दूर हो सकते हैं। सूर्य के लिए रविवार को व्रत करें। एक समय फलाहार करें और सूर्यदेव की पूजा करें।