सार
Mahalaxmi Vrat 2022 Puja Vidhi:हिंदू धर्म में कई ऐसे व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, जिसमें धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा ही एक व्रत है महालक्ष्मी व्रत। इस व्रत में हाथी पर बैठी देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
उज्जैन. धन और सुख-समृद्धि के लिए देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसके लिए साल में कई व्रत-त्योहार भी आते हैं। महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2022) भी इन्हीं में से एक है। ये व्रत आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस बार ये व्रत 17 सितंबर, शनिवार को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस दिन श्रीवत्स, सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि और द्विपुष्कर नाम का शुभ योग होने से महालक्ष्मी व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
इस विधि से करें महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2022 Puja Vidhi)
- शनिवार की सुबह स्नान करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें और ये मंत्र बोलें-करिष्यsहं महालक्ष्मि व्रतमें त्वत्परायणा,
तदविघ्नेन में यातु समप्तिं स्वत्प्रसादत:
- घर में किसी साफ स्थान पर गजलक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर उसके सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं और पूजा आरंभ करें।
- देवी गजलक्ष्मी को तिलक लगाएं, हार माला पहनाएं और चंदन, अबीर, गुलाल, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल आदि चीजें चढ़ाएं।
- पूजन के दौरान सूत 16-16 की संख्या में 16 बार रखें। इसके बाद नीचे लिखा मंत्र बोलें-
क्षीरोदार्णवसम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा
व्रतोनानेत सन्तुष्टा भवताद्विष्णुबल्लभा
- देवी लक्ष्मी के साथ-साथ हाथी की भी पूजा करें। अंत में भोग लगाकर देवी की आरती करें। इस प्रकार यह व्रत पूरा होता है।
ये है महालक्ष्मी व्रत की कथा (Mahalaxmi Vrat Katha)
किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह भगवान विष्णु का भक्त था। एक दिन भगवान ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मण ने कहा कि ‘मेरे घर में सदा देवी लक्ष्मी का वास हो, ऐसा वरदान दीजिए।’ तब भगवान विष्णु ने उससे कहा कि ‘ इस मंदिर के सामने को स्त्री रोज गोबर के कंडे बनाती है, वही देवी लक्ष्मी हैं, तुम उन्हें घर आने का निमंत्रण देना।’ ऐसा कहकर विष्णु भगवान अपने लोक लौट गए।
अगले दिन जब देवी लक्ष्मी साधारण रूप में आई तो ब्राह्मण ने उन्हें पहचान लिया और अपने घर आने के लिए निवेदन किया। देवी समझ गई कि ये बात भगवान विष्णु ने ही इस ब्राह्मण को बताई है। देवी ने उस ब्राह्मण से कहा कि ‘तुम 16 दिन तक महालक्ष्मी व्रत विधि-विधान से करो। इसके बाद ही मैं तुम्हारे घर आऊंगी।’ ब्राह्मण ने ऐसा ही किया और प्रसन्न होकर देवी लक्ष्मी उसके घर में निवास करने लगी।
गजलक्ष्मी जी की आरती (Gajalaxmi Mata Ki Aarti)
ओम जय गज लक्ष्मी माता, मैया जय गज लक्ष्मी माता ।
तुम को निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।।
ओम जय गज लक्ष्मी माता उमा, रमा, ब्रह्ममाणी, तुम ही जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।।
ओम जय गज लक्ष्मी माता दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-सम्पत्ति-दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।।
ओम जय गज लक्ष्मी माता तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता।
ओम जय गज लक्ष्मी माता जिस घर में तुम रहती, सब सद् गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नही घबराता।।
ओम जय गज लक्ष्मी माता तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता।।
ओम जय गज लक्ष्मी माता शुभ-गुण-मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।।
ओम जय गज लक्ष्मी माता गज लक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।।
ओम जय गज लक्ष्मी माता।
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