सार
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को महान बल्लेबाज ही नहीं क्रिकेट का भगवान (God Of Cricket) भी कहा जाता है। इसके पीछे सचिन की मेहनत, काबिलियत और संघर्ष तो है ही, लेकिन उन लोगों का भी बड़ा योगदान है, जिन्होंने सचिन को निखारने का काम किया।
Sachin Tendulkar's Birthday. सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) आज यानि की 24 अप्रैल को अपना 50वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनको महान बल्लेबाज ही नहीं क्रिकेट का भगवान (God Of Cricket) भी कहा जाता है। इसके पीछे सचिन की मेहनत, काबिलियत और संघर्ष तो है ही, लेकिन उन लोगों का भी बड़ा योगदान है, जिन्होंने सचिन को निखारने का काम किया। इस स्टोरी में हम आपको बताते हैं सचिन की जिंदगी से जुड़े उन तीन लोगों के बारे में जिन्होंने उन्हें क्रिकेट का भगवान बना दिया।
सचिन भी करते हैं तीन लोगों को सलाम
सचिन तेंदुलकर ने पिछले साल गुरू पूर्णिमा के मौके पर एक वीडियो शेयर किया था जिसमें लिखा कि वे तीन लोग जिन्हें मैं गुरू पूर्णिमा पर धन्यवाद करना चाहता हूं। उसके बाद उन्होंने लिखा कि गुरू पूर्णिमा के अवसर पर मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे सिखाया और हर बार अपना बेस्ट प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। सचिन ने फिर लिखा कि मैं अपनी लाइफ में 3 जेंटलमैन लोगों का हमेशा आभारी रहूंगा जिन्होंने सचिन को सचिन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
बड़े भाई हैं सचिन तेंदुलकर के पहले गुरू
सचिन तेंदुलकर ने अपने बड़े भाई अजीत तेंदुलकर को जीवन का पहला गुरू बताया है। उन्होंने कहा था कि बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ही मेरा हाथ पकड़कर मुझे गुरू रमाकांत आचरेकर के पास ले गए। मैं जब भी क्रिकेट बैट पकड़ता हूं तो तीन लोगों के बारे में सोचता हूं जिन्होंने मेरी जिंदगी में अहम भूमिका निभाई। सचिन ने अपना दूसरा गुरू रमाकांत आचरेकर को और तीसरा गुरू अपने पिता को बताया है।
आचरेकर सर की बड़ी भूमिका
सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी पर घंटों प्रैक्टिस कराने वाले गुरू आचरेकर को सचिन ने जीवन भर सम्मान दिया और उनके न रहने के बाद भी वे उन्हें याद करते हैं। सचिन कहते हैं कि मैं चाहे मैच खेल रहा होता या फिर प्रैक्टिस करता था तो आचरेकर सर नोट बनाते थे जिसमें मेरी गलतियां लिखी रहती थीं। बाद में वे उन गलतियों पर चर्चा करते और उसे सही कराते थे।
पिता ने सिखाया-लाइफ में शॉर्टकट नहीं
सचिन तेंदुलकर ने जीवन का तीसरा गुरू अपने पिता प्रोफेसर रमेश तेंदुलकर को बताया है। सचिन कहते हैं कि उनके पिता ने उन्हें हमेशा यही सिखाया कि जिंगगी में कुछ भी शॉर्टकट नहीं होता। जो भी हासिल करना है, उसके लिए मेहनत करनी पड़ेगी और तभी परफेक्ट बना जा सकता है। पिता के पसंदीदा संगीतकार सचिन देव बर्मन रहे और उन्हीं के नाम पर सचिन तेंदुलकर नाम पड़ा था।
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