Who Is Sarvagya Singh: 3 साल की उम्र में बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं और अच्छे से ABCD भी नहीं लिख पाते, लेकिन आज हम 3 साल के ऐसे धुरंधर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो इस उम्र में शतरंज के शहंशाह बन गए।

Sarvagya Singh Youngest FIDE Rapid Rated Player:कहते हैं ना की प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती, कोई किसी भी उम्र में अपने कौशल और प्रतिभा को निखार सकता है। इसका सबसे बड़ा एग्जांपल मध्य प्रदेश के सागर में रहने वाले सर्वज्ञ सिंह हैं, जिनकी उम्र केवल 3 साल 7 महीने और 13 दिन है। इस उम्र में भी सर्वज्ञ ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया जिससे दुनिया भर में उनके नाम का डंका बज रहा है। वो सबसे कम उम्र में FIDE रैपिड रेटिंग पाने वाले शतरंज के खिलाड़ी भी बन गए हैं। जिस उम्र में बच्चे खेल खिलौने खेलते हैं, उस उम्र में सर्वज्ञ शतरंज के सुरमा बन गए हैं, आइए आपको बताते हैं सर्वज्ञ के बारे में...

3 साल में कैसे शतरंज के सूरमा बनें सर्वज्ञ सिंह

बताया जा रहा है कि सर्वज्ञ की पेरेंट्स ने उनका स्क्रीन टाइम कम करने और मोबाइल से दूर करने के लिए उन्हें शतरंज सिखाना शुरू किया। लेकिन उन्होंने भी नहीं सोचा था कि उनका छोटा सा बेटा इतना बड़ा इतिहास रचेगा। इसी साल सितंबर में सर्वज्ञ ने बेंगलुरु में 24वें RCC रैपिड रेटिंग कप में अपना पहला टूर्नामेंट खेला और 1542 रेटिंग वाले खिलाड़ी को हराकर सबको हैरान कर दिया। इसके बाद अक्टूबर में खंडवा में हुए दूसरे श्री दादाजी धूनी वाला रैपिड रेटिंग ओपन में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और 1559 रेटिंग वाले खिलाड़ी को हराया। फिर उन्होंने छिंदवाड़ा और इंदौर में भी दो रैपिड रेटिंग टूर्नामेंट खेले, जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ ने दिसंबर रेटिंग में उनका नाम शामिल किया, अब उनकी रैपिड रेटिंग 1572 दर्ज की गई है।

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कैसे मिलती है FIDE रैंकिंग

FIDE रैंकिंग पाने के लिए किसी भी शतरंज खिलाड़ी को एक इंटरनेशनल प्लेयर को हराना होता है, लेकिन सर्वज्ञ ने एक नहीं बल्कि तीन इंटरनेशनल लेवल के शतरंज खिलाड़ियों को हराया। जिसके चलते उन्हें FIDE रैंकिंग में 1572 वां स्थान मिला और वो सबसे कम उम्र में FIDE रैंकिंग हासिल करने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए हैं, अब उनकी नजर ग्रैंडमास्टर जैसे खिताब पर होगी।

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रोज करीब 6 घंटे शतरंज खेलते हैं सर्वज्ञ

सर्वज्ञ के माता-पिता ने बताया कि उन्हें पर्सनल कोचिंग के अलावा ऑनलाइन कोचिंग भी दी जाती है। वो अपने पेरेंट्स के साथ भी रोजाना शतरंज खेलते हैं। वो रोज कम से कम 6 घंटे शतरंज की प्रैक्टिस करते हैं। सर्वज्ञ के पिता सिद्धार्थ सिंह कुशवाहा ने बताया कि खेल शुरू करने के 6-7 महीने बाद ही उसने ये उपलब्धि हासिल की। वहीं, उसकी मां नेहा सिंह कुशवाहा कहती हैं कि ये मेहनत और ईश्वर की कृपा से तय होता है। हमारे बच्चे पर ईश्वर की कृपा है। सर्वज्ञ अभी बहुत छोटे हैं, लेकिन उनकी सोच और खेल बहुत बड़ा है। अगर यही प्रगति जारी रही, तो आने वाले समय वो भारत के लिए बड़े शतरंज के खिलाड़ी बन जाएंगे।