2025 बिहार चुनाव में NDA की जीत के बाद, नई नीतीश सरकार को 9 बड़ी चुनौतियों का सामना करना है। इनमें बेरोजगारी, धीमा औद्योगिक विकास, और कानून-व्यवस्था प्रमुख हैं। इन चुनौतियों से निपटकर विकास करना ही सरकार की असली परीक्षा होगी।

विधानसभा चुनाव 2025 परिणामों ने बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिख दिया है। NDA गठबंधन को रिकॉर्डतोड़ जीत मिली है और नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने जा रहे हैं। यह जीत जितनी बड़ी है, उतनी ही बड़ी जिम्मेदारियाँ भी उनके सिर पर आ चुकी हैं। अब सवाल सिर्फ सत्ता संभालने का नहीं, बल्कि बिहार को रोजगार, सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और औद्योगिक विकास के पथ पर वास्तविक रूप से आगे बढ़ाने का है।

चुनावी भाषणों और वादों से आगे बढ़कर अब जमीन पर काम करने का समय है, और इसी मोर्चे पर सरकार की असली परीक्षा शुरू होती है। आइए देखते हैं वे 9 बड़ी चुनौतियाँ, जो नीतीश सरकार को अगले पाँच वर्षों में समाधान के लिए मजबूती से भिड़ना पड़ेगा।

बेरोजगारी और युवाओं का पलायन

बिहार की सबसे बड़ी समस्या आज भी रोजगार की है। लाखों युवा हर साल पढ़ाई पूरी कर दूसरे राज्यों में नौकरी ढूंढने निकल जाते हैं। यह न सिर्फ टैलेंट लॉस है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक नुकसान भी। सरकार के सामने सबसे पहला लक्ष्य होना चाहिए। युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाना।

औद्योगिक विकास की धीमी रफ्तार

बिहार के पास संसाधन और जनसंख्या क्षमता दोनों हैं, लेकिन उद्योग अब भी राज्य में निवेश करने में हिचकते हैं। उद्योगों की कमी रोजगार से लेकर उत्पादन और राज्य की आय — सभी पर असर डालती है। अब औद्योगिक कॉरिडोर, MSME हब और स्टार्टअप ईकोसिस्टम को मजबूत करना समय की मांग है।

कानून-व्यवस्था और अपराध की चुनौती

बढ़ते आपराधिक मामलों और हथियारों की उपलब्धता ने राज्य की छवि पर गहरा असर डाला है। जब तक कठोर अपराध नियंत्रण, पुलिस संसाधन सुधार, और सामाजिक व्यवस्था में संतुलन नहीं बनाया जाएगा, निवेश और विकास, दोनों बाधित रहेंगे।

शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन

स्कूलों की मूलभूत सुविधाएँ, प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी और स्किल-आधारित शिक्षा की आवश्यकता। तीनों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। बिहार में शिक्षा को सिर्फ डिग्री और पासिंग रेट तक सीमित न रखकर कैरियर-ओरिएंटेड बनाना होगा।

स्वास्थ्य सेवाओं की कमज़ोरी

ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों, नर्सों, मेडिकल सुविधाओं और आधुनिक उपकरणों की कमी विकास की सबसे गंभीर बाधाओं में से एक है। हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किए बिना बिहार की आगे की यात्रा अधूरी है।

कृषि क्षेत्र का सीमित लाभ

किसानों को आधुनिक तकनीक, उचित बाज़ार, कोल्ड स्टोरेज और बेहतर MSP का लाभ दिलाना NDA के लिए बड़ी चुनौती होगी। बिहार की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि है, लेकिन किसान उत्पादक से कम और संघर्षकर्ता ज्यादा दिखते हैं।

महिलाओं के कल्याण और सामाजिक सशक्तिकरण

बिहार में महिला जनभागीदारी अच्छी है, लेकिन रोजगार, सुरक्षा और नेतृत्व विकास के क्षेत्र में अभी भी भारी गैप है। सरकार की योजनाओं को धरातल पर प्रभावी बनाना अहम है।

बुनियादी ढाँचे का विस्तार

सड़क, जल, बिजली, इंटरनेट, डिजिटल सेंटर, स्मार्ट गाँव इस दशक के विकास की वास्तविक पहचान हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर इंफ्रास्ट्रक्चर को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने की जरूरत है।

गठबंधन समन्वय और स्थिरता

NDA की ऐतिहासिक जीत के बावजूद, सीटों और नेतृत्व के समीकरण हमेशा राजनीतिक उतार-चढ़ाव के खतरे से जुड़े होते हैं। स्थिर सरकार ही स्थिर विकास दे सकती है, इसलिए गठबंधन तालमेल भी सरकार की प्रमुख परीक्षा है।

बिहार ने सत्ता पर भरोसा जताया है, अब सरकार को डिलिवरी मॉडल से अपनी क्षमता साबित करनी होगी। यह सिर्फ जीत का दौर नहीं, नीति, योजनाओं, और उनके क्रियान्वयन का दौर है। अगर NDA सरकार इन चुनौतियों को अवसर में बदल पाती है, तो 2025-2030 का कार्यकाल बिहार के लिए गोल्डन ट्रांसफॉर्मेशन पीरियड बन सकता है। वरना यह जीत सिर्फ राजनीतिक इतिहास बनकर रह जाएगी, विकास का भविष्य नहीं।