सार

बिहार राज्य में लगातार ताश की पत्तों की तरह पुल गिरने का मामला सामने आया है। ताजा मामला सारण जिले का है, जहां 2 पुल एक साथ ही ढह गए हैं।

Bihar Bridge Collapse: बिहार देश का अति पिछड़ा और गरीब राज्य माना जाता है। जहां बेरोजगारी बहुत बड़ा श्राप है। इनके सब के अलावा बिहार में भ्रष्टाचार ने ऐसा पैर फैला रखा है, जिसकी वजह से मूल व्यवस्था पर भी काफी असर पड़ता नजर आ रहा है। इसका सबसे ताजा उदाहरण देखने को मिला, जब राज्य में लगातार ताश की पत्तों की तरह पुल गिरने का मामला सामने आया है। ताजा मामला सारण जिले का है, जहां 2 पुल एक साथ ही ढह गए हैं। हालांकि, इन सबके पीछे कौन जिम्मेदार है, किसकी गलती है और कौन इन सब के पीछे ये एक बहुत बड़ा सवाल है।

बिहार के लिए सबसे शर्मनाक बात ये है कि मात्र 15 से 16 दिनों के भीतर ही 12 पुल ढह गए। इसके बाद जाकर बिहार सरकार की नींद टूटी और नीतीश कुमार ने टीम का गठन करके जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए तीन चीफ इंजीनियरों को नियुक्त किया गया है। बैठक के दौरान उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि अब उस हर पुल की जांच करें, जिन्हें मरम्मत की जरूरत हो।

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कौन से पुल कब गिरें और किसने बनाए?

बिहार में कई पुल तो ऐसी गिरे हैं, जो पूरी तरह से बनकर तैयार भी नहीं हुए थे। एक पुल ऐसा भी था, जिसके उद्घाटन में मात्र चंद दिन ही बाकी थे और पुल धराशायी हो गया। कहीं-कही पुल तो तैयार होने के मात्र 10 से 12 साल के अंदर ही ध्वस्त हो गए। अगर हम बात करें की कौन से पुल कब बने किसके समय में बने? कब-कहां और कितनी संख्या में गिरे? किसके शासन में बनकर तैयार हुए थे? ये सारी बातें सभी के मन में जरूर आते होंगे। इसको जानने की कोशिश भी की जानी जरूरी है। 

बीते 2 जुलाई को दरौंदा-महाराजगंज सीमा पर स्थित महुआरी गांव के पड़ाइन टोला और भीखाबांध गांव के बॉर्डर पर बना पुल गिर गया था। इस पुल को 2004 में महाराजगंज के तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह के शासन काल में बनाया गया था। टेघड़ा बंगरा गांव के बीच 1936 में पुल गांव वालों की मदद से बना था। पुल ध्वस्त होने के साथ ही नदी के धारा में बह गया था। सिकंदरपुर नौतन पुल 1991 में महाराजगंज के तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह के प्रयास से लगभग छह लाख की लागत से बनाया गया था।

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सारण जिले गिरने वाले पुल का इतिहास

सारण जिले में जो 2 पुल गिरे हैं उसके वो जनता बाजार में ढ़ोढ़नाथ मंदिर से करीब पांच सौ मीटर के दूरी पर स्थित था। इसे साल 2005 में  तत्कालीन विधायक धूमल सिंह के विधायक कोष से बनाया गया था। इसको बनाए जाने के बाद कई बार ऊपरी सतह का मरम्मत भी कराया गया था। इसके बावजूद बुधवार 3 जुलाई करीब दो बजे यह पुल धराशायी हो गया। इसके बाद मात्र एक घंटे बाद दोपहर तीन बजे 800 मीटर दूर गंडकी नदी पर ही बने दंदासपुर जंगल विलास टोला पर बना पुल गिर गया। इसे साल 1936 में ब्रिटिश काल के दौरान बनाया गया था। पुल को भेटवलिया गांव के कुशवाहा परिवार के लोगों ने बनवाया था।

बिहार में बीते कई सालों में गिरे पुल

  • सुल्तानगंज: सुल्तानगंज से खगड़िया के अगुवानी गंगा घाट पर 4 जून 2023 को निर्माणाधीन पुल का पिलर नंबर 10, 11 और 12 नदी में बह गए थे। हालांकि, इसमें किसी की मौत नहीं हुई थी।
  • सारण: बिहार के सारण जिले में 19 मार्च 2023 को एक पुल गिर गया था। पुल अंग्रेजों के जमाने का था। बाढ़ की वजह से पुल जर्जर हो गया था और कई जगहों पर दरारें हो गई थी।
  • दरभंगा और बिहटा: पटना के बिहटा में सरमेरा में 19 फरवरी 2023 को फोर लेन पुर गिर गया था। बिहार के दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान में कमला बलान नदी के सबोहल घाट पर ओवरलोड ट्रक की चपेट में आने से पुल गिर गया था।
  • पूर्णिया-कटिहार: पूर्णिया में 15 मई 2023 को एक बड़ा हादसा हुआ था। एक पुल का एक बॉक्स ढलाई के दौरान गिर गया था। कटिहार जिले में भी जुलाई 2022 में एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था और पुल गिरने से 10 मजदूर घायल हो गए थे।
  • नालंदा: बिहार के नालंदा जिले में 18 नवंबर 2022 को एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था। 1 की मौत हो गई थी।
  • सहरसा: बिहार के सहरसा में 9 जून 2022 को एक पुल गिरने से कई मजदूर घायल हो गए। बख्तियारपुर के कंडुमेर गांव में पुल गिरने से कई लोग दब गए थे।
  • फतुहा: पटना के फतुहा में 20 मई 2022 को अधिर बारिश के कारण एक पुल गिर गया था. यह पुल 1984 में बना था। वहीं, 30 अप्रैल 2022 को भागलपुर-खगड़िया में एक सड़क पुल गिर गया था।