Sasaram News: कांग्रेस की 'मतदाता अधिकार रैली' में लालू यादव के डेढ़ मिनट के भाषण ने जनता में ज़बरदस्त उत्साह भर दिया। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "चोरों को हटाओ, भाजपा को भगाओ।" मंच पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव भी मुस्कुराते नज़र आए।
Bihar Chunav 2025: बिहार के सासाराम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव की 'मतदाता अधिकार रैली' में लालू यादव ने लगभग डेढ़ मिनट के भाषण में समां बांध दिया। लालू ने जब माइक थामा तो जनता में जबरदस्त उत्साह देखा गया। राजनीति के मंच पर कई बार सिर्फ़ शब्दों का ही नहीं, बल्कि उनके अंदाज़ का भी असर होता है। और जब बात बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की हो, तो उनकी भाषण शैली किसी चुनावी 'टॉनिक' से कम नहीं मानी जाती।
‘चोरों को हटाओ, भाजपा को भगाओ’
ऐसा ही नज़ारा सासाराम में आयोजित राहुल गांधी की 'मतदाता अधिकार यात्रा' के दौरान देखने को मिला, जिसने जनता के साथ-साथ मंच पर बैठे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के चेहरों पर भी चमक ला दी। लालू ने कहा, 'चोरों को हटाओ, भाजपा को भगाओ। चोरी करने वाली भाजपा को किसी भी कीमत पर मत आने दो। सब लोग एकजुट हो जाओ।' राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एकजुट होकर इसे जड़ से उखाड़ फेंकें। लोकतंत्र को मजबूत करें। लागल-लागल झुलनिया में धक्का, बलम कलकत्ता चला।'
लालू के इस छोटे से भाषण ने न सिर्फ़ जनता में जोश भर दिया, बल्कि राहुल गांधी के चेहरे पर भी चमक ला दी। उनके बगल में बैठे मल्लिकार्जुन खड़गे और राजद नेता तेजस्वी यादव हंसने लगे। आपको बता दें कि इससे पहले राहुल गांधी ने लालू यादव को सासाराम पहुंचने के लिए धन्यवाद भी दिया। राहुल ने अपने भाषण में चुनाव आयोग पर भी हमला बोला और कहा, 'यह संविधान बचाने की लड़ाई है। आज भाजपा संविधान को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है। जहां भी चुनाव होता है, भाजपा जीतती है। जांच में पता चला कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में 1 करोड़ नए मतदाता बनाए। सभी नए वोट भाजपा को मिल जाते हैं। जब कर्नाटक की जांच शुरू हुई, तो बड़ा खुलासा हुआ। एक विधानसभा में 1 लाख से ज़्यादा वोट चुराए गए। उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र में जादू से एक करोड़ मतदाता बनाए गए। जहां भी नए मतदाता आए, वहां भाजपा जीत गई। भाजपा को नए मतदाताओं के वोट मिले। मैंने चुनाव आयोग से वीडियो फुटेज दिखाने को कहा, लेकिन उन्होंने नहीं दिखाए।
सासाराम में लालू पुराने अंदाज में लौटे
सासाराम में गर्मी और उमस के बीच जब लालू यादव ने हज़ारों की भीड़ को संबोधित करने के लिए माइक संभाला, तो वे बिल्कुल पुराने लालू जैसे ही दिखे। उन्होंने चुटीले अंदाज़ में, व्यंग्यात्मक अंदाज़ में, आम बोलचाल की भाषा में बात की और भीड़ की नब्ज़ को समझा। भीड़ ठहाके लगाकर हंस पड़ी। भाषण खत्म होते-होते लोग न सिर्फ़ उन्हें सुन रहे थे, बल्कि उनसे जुड़ भी चुके थे। लालू यादव की राजनीति की यही पहचान रही है। सासाराम की रैली सिर्फ़ महागठबंधन की चुनावी सभा नहीं, बल्कि एकता और जोश का प्रदर्शन थी। राहुल गांधी, जो अक्सर गंभीर भाषण देने के लिए जाने जाते हैं, मंच पर लालू यादव का यह अंदाज़ देखकर बार-बार मुस्कुराते रहे। उनके चेहरे की यह मुस्कान बता रही थी कि जनता से इस जुड़ाव से वे कितने उत्साहित थे।
लालू के सामने राहुल-तेजस्वी हुए फेल
वहीं, तेजस्वी यादव के लिए भी यह पल भावुक कर देने वाला था। एक ओर वे अपने पिता को राजनीतिक मंच पर उसी उत्साह से देख रहे थे, वहीं दूसरी ओर उन्हें यह भी लग रहा था कि जनता के बीच लालू की पकड़ अभी भी मज़बूत है और यह आगामी चुनावों में राजद के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है। लालू यादव ने अपने भाषण में जहाँ सत्ताधारी दल पर तीखे हमले किए, वहीं आम लोगों की भाषा और उनके मनोविज्ञान का भी पूरा ध्यान रखा।
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इस रैली ने साफ़ कर दिया कि बिहार की राजनीति में भले ही चेहरे बदल रहे हों, लेकिन लालू यादव जैसे नेता आज भी 'भीड़ खींचने' से ज़्यादा 'भीड़ को दिशा दिखाने' में सक्षम हैं। सासाराम में जो हुआ वह सिर्फ़ एक भाषण नहीं था। यह इस बात का संकेत था कि बिहार की राजनीति में लालू शैली अभी भी ज़िंदा है और उसकी ज़रूरत अभी भी महसूस की जाती है।
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