बिहार चुनाव 2025 से पहले NDA में सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी ड्रामा तेज हो गया है। चिराग पासवान की पार्टी ने CM पद पर दावा ठोककर BJP-JDU की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

Bihar Election 2025 Latest Update: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच राजनीतिक हलकों में नया ड्रामा छिड़ गया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत के बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने मुख्यमंत्री पद के लिए बड़ा दावा पेश किया है। लोजपा के बिहार प्रभारी और चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती ने हाजीपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुले तौर पर कहा कि अगले दो दशक तक बिहार का नेतृत्व चिराग पासवान के हाथ में होगा।

चिराग पासवान को बिहार का अगला मुखिया मान रही जनता: अरुण भारती

अरुण भारती ने कहा, “चिराग पासवान बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे और वे लालू यादव और नीतीश कुमार की तरह मजबूत नेतृत्व प्रदान करेंगे। जनता भी उन्हें बिहार का अगला मुखिया मान रही है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राजनीतिक माहौल हर 15-20 साल में बदलता है और अब बिहार में बदलाव का समय आ गया है। हालांकि, यह बयान तब आया है जब एनडीए के अन्य घटक दलों ने यह साफ कर दिया है कि विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए नितीश कुमार ही उम्मीदवार होंगे। चिराग पासवान ने भी कुछ समय पहले तक नीतीश कुमार के नेतृत्व को स्वीकार किया था। लेकिन सीट बंटवारे के फॉर्मूले को लेकर पार्टी के रुख में अचानक बदलाव आया है।

चिराग की पार्टी को मिल सकती हैं 20 सीटें

माना जा रहा है कि NDA में सीट बंटवारे के लिए तैयार फॉर्मूले के अनुसार लोक जनशक्ति पार्टी (रा. ) को 20 सीटें मिलने का प्रस्ताव है, लेकिन चिराग पासवान इनके लिए संतुष्ट नहीं हैं और पार्टी की मांग 40 से ज्यादा सीटों की है। इस मांग को लेकर पार्टी के बड़े नेता अरुण भारती को आगे कर दिया गया है, जो गठबंधन की अन्य पार्टियों के लिए चुनौती बन गए हैं।

NDA में बेचैनी

चिराग पासवान की यह बढ़ती मांग और मुख्यमंत्री पद की दावेदारी एनडीए भीतर बेचैनी बढ़ा रही है। गठबंधन के अंदर राजनीतिक समीकरण पेचीदा और तनावपूर्ण हो गए हैं। बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के बढ़ते दबाव को लेकर BJP और JDU के रणनीतिकार अपने कदम सोच-समझकर उठा रहे हैं ताकि गठबंधन टूटने से बचाया जा सके। 2020 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए 145 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले चिराग पासवान का प्रदर्शन अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाया था, पर उनकी रणनीति ने जदयू के लिए चुनौती जरूर पैदा की थी। उस चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी ने 5.66 प्रतिशत वोट हासिल किया था।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग का दबाव उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के साथ ही गठबंधन में अपनी साख मजबूत करने की कोशिश है। हालांकि, जदयू किसी भी हालत में अपनी प्रधान पार्टी का दर्जा और सीटें कम नहीं करना चाहती। बातचीत अभी जारी है, और सीट बंटवारा अंतिम रूप नहीं ले पाया है।

ताकत दिखाने में जुटी चिराग की पार्टी

लोक जनशक्ति पार्टी के नेताओं द्वारा लगातार आयोजित की जा रही नवसंकल्प महासभाओं में पार्टी अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने में जुटी है। आगामी 4 सितंबर को मुजफ्फरपुर में होने वाली नई संकल्प सभा को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी है, जो बिहार की राजनीति में बड़ा असर डाल सकती है। बिहार की राजनीतिक पिच पर अब एक बार फिर से नई जंग छिड़ने को है, जहां सीटें और सत्ता का बंटवारा मुद्दा बनी हुई है। चिराग पासवान और उनकी पार्टी की बढ़ती महत्वाकांक्षा से एनडीए में सियासी तनाव और तेज होगा, जो चुनावी फॉर्मूले को काफी प्रभावित कर सकता है।