बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले टिकट बंटवारे और पाला बदलने वाले विधायकों ने एनडीए और महागठबंधन दोनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मोहनिया और चैनपुर जैसी सीटों पर नए-पुराने दावेदारों की टक्कर से बगावत का खतरा मंडरा रहा है। 

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, राज्य के सियासी गलियारों में हलचल तेज़ हो गई है। इस बार उम्मीदवारों के चयन, टिकट बंटवारे और पाला बदलने वाले विधायकों के चलते एनडीए और महागठबंधन दोनों को असमंजस और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई सीटें ऐसी हैं जहां पुराने-नए चेहरों की दावेदारी ने समीकरण जटिल बना दिए हैं।

पार्टी बदलने वालों का बढ़ा दबदबा

बिहार की राजनीति में पाला बदलने वाले नेताओं की वजह से गठबंधनों में घमासान मचा है। वर्ष 2020 के चुनाव के बाद चैनपुर सीट से बसपा के टिकट पर जीतने वाले जमा खां ने जदयू का दामन थाम लिया और मंत्री पद तक पहुंचे। इसी प्रकार, मोहनिया सीट पर राजद टिकट पर जीतने वाली संगीता कुमारी फरवरी 2024 में भाजपा में चली गईं। नतीजा यह है कि दोनों सीटों पर नए समीकरण बन गए हैं और टिकट बंटवारे के वक्त असंतोष या बगावत की स्थिति बन सकती है।

सीट बंटवारे पर मंथन और असमंजस

एनडीए और महागठबंधन दोनों ही अपने-अपने स्तर पर टिकट बंटवारे के लिए गहन चर्चा कर रहे हैं। गठबंधनों की प्राथमिकता है कि जिताऊ चेहरे पार्टी के साथ टिके रहें, लेकिन निष्ठा बदल चुके नेताओं की वजह से पुराने कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। कई स्थितियों में पुराने नेता और नए ‘पाला बदलू’ विधायक आमने-सामने आ सकते हैं। ऐसे में वोट बैंक की राजनीति, जातीय समीकरण और क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करना पार्टियों के लिए कड़ी चुनौती बन गया है।

मोहनिया-चैनपुर में बगावत की आशंका

मोहनिया की बात करें तो भाजपा के पुराने उम्मीदवार निरंजन राम के सामने पार्टी की नई सदस्य संगीता कुमारी दावेदार हैं। यही हाल चैनपुर का है, जहां जदयू में शामिल जमा खां और पुराने पार्टी कार्यकर्ता टिकट के इच्छुक हैं। इन सीटों पर दोनों गठबंधनों के लिए फैसला आसान नहीं है। यदि किसी जातीय या क्षेत्रीय समीकरण को दरकिनार किया गया, तो असंतोष सार्वजनिक बगावत में बदल सकता है।

गठबंधन नेतृत्व की असली परीक्षा

इस पूरे समीकरण में गठबंधन नेतृत्व के लिए असली संकट क्रियान्वयन का होगा। टिकट बंटवारे में किसी भी पक्ष में यदि असंतुष्ट नेताओं की संख्या ज्यादा रही, तो बागी उम्मीदवारों का खेल पूरे पूर्वानुमान को पलट सकता है। स्थानीय समीकरण और जातीय बिरादरी के दबाव के बीच, नेता अब फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं।

नतीजे का ट्रेंड सेट करेंगी विवादित सीटें

बिहार चुनाव 2025 की सबसे बड़ी बात यही होगी कि चैनपुर, मोहनिया जैसी सीटों पर पार्टी बदलने वाले विधायकों और टिकट के पुराने दावेदारों का टकराव पूरे राज्य की राजनीति की दिशा तय कर सकता है। गठबंधन की राजनीति में न केवल सीटों की सौदेबाजी बल्कि व्यक्तिगत वफादारी और राजनीतिक समीकरण भी निर्णायक होंगे। इसलिए चुनावी रण का असली इम्तिहान वहां होगा जहां पार्टी की निष्ठा, जमीन से जुड़ा समर्थन और पाला बदलने की रणनीति आमने-सामने होंगी। आने वाले हफ्तों में यह देखना रोचक होगा कि कौन सा गठबंधन इस परीक्षा में सफल रहता है और किसकी रणनीति में बिखराव झलकता है।