बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए विपक्षी एकजुटता का संदेश दिया है। अब यह गठबंधन ग्रामीण इलाकों, युवाओं और सामाजिक न्याय के मुद्दों को केंद्र में रखकर बूथ स्तर से संगठन मजबूत करने की रणनीति बना रहा है।

Bihar Chunav 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 के लिए महागठबंधन ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए विपक्षी एकजुटता का जो संदेश दिया है, वह सिर्फ जल्दबाजी में किया गया विरोध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह लंबे समय तक चलने वाली रणनीतिक लड़ाई का पहला कदम माना जा रहा है। इस यात्रा के बाद महागठबंधन अब अपनी लड़ाई को और व्यापक, संगठित और व्यवस्थित तरीके से राजनीतिक परिदृश्य पर उतारने की योजना बना रहा है।

राजनीतिक जानकारों की राय में, महागठबंधन का अगला प्रमुख निशाना बिहार के ग्रामीण इलाकों और पिछड़े तबकों को मजबूत समर्थन देना होगा। पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में देखा गया कि सामाजिक एवं जातिगत समीकरणों के बिना वोट बैंक मजबूत नहीं होता। इसलिए अब महागठबंधन ने फैसला किया है कि वह बूथ स्तर से लेकर जिला मुख्यालय तक वो संवाद और जनसभाओं का जाल बिछाएगा, जो सीधे स्थानीय जनता के मुद्दों को उठाएं। इसमें बेरोजगारी, महंगाई, जल संरक्षण, शिक्षा-सुधार, और महिला सशक्तिकरण जैसे लोकप्रिय मुद्दे शामिल रहेंगे। ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर तीखे प्रहार किए। अब वह इन मुद्दों को हर गांव और कस्बे तक पहुंचा कर जनसमर्थन जुटाने की योजना में हैं।

युवा शक्ति पर होगा फोकस

महागठबंधन का एक और बड़ा फोकस युवाओं पर होगा। युवा विधानसभा चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। ‘युवा संवाद’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय करने की रणनीति बना रही है। युवाओं के लिए रोजगार, कौशल विकास, शिक्षा और डिजिटल भारत जैसे मुद्दे उनके समर्थन को मजबूत करेंगे। तेजस्वी यादव ने खुद को बिहार के युवा नेतृत्व के रूप में स्थापित करने के लिए कटिबद्धता दिखाई है।

राजद-कांग्रेस गठबंधन के साथ वाम दल और वीआईपी पार्टी को भी सक्रिय भूमिका दी जाएगी। जिला एवं पंचायत स्तर पर संगठन को मजबूत करना, बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना, पार्टी की मौजूदगी का विस्तार करना महागठबंधन की प्राथमिकताओं में शामिल होगा।

भाजपा के विकास एजेंडे के मुकाबले सामाजिक न्याय और जनधारणा

महागठबंधन यह मानता है कि भाजपा विकास की बात तो करती है लेकिन सामाजिक न्याय और कमजोर वर्गों के लिए वह प्रभावी नहीं रही। इसलिए वह सामाजिक न्याय, आरक्षण, पिछड़े वर्गों और मध्यम वर्ग के कल्याण को चुनावी मुद्दों के केंद्र में रखेगा। इस रणनीति से भाजपा के विकास एजेंडे को जवाब देने की योजना है।

जमीनी स्तर पर मजबूती की तैयारी

महागठबंधन “संयुक्त जनसभा” कार्यक्रम के जरिये जिला स्तर से लेकर मंडल, ब्लॉक स्तर तक पंचायत चुनावी माहौल बनाएगा। इस रणनीति का मकसद स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करना, जमीनी स्तर पर ताकत जुटाना और पार्टी के प्रति जनता में विश्वास पैदा करना है। हालांकि ऐतिहासिक तौर पर बिहार की राजनीति में महागठबंधन फिल्मों की तरह सफलता और असफलता दोनों देख चुका है, लेकिन इस बार चुनाव की तैयारी और रणनीति काफी व्यापक नजर आ रही है। विरोधी दलों के बीच एकता बनी रहना, वोटरों को वास्तविक मुद्दों से जोड़ना और संगठनात्मक मजबूती बनाना उन्हें इस चुनाव में निर्णायक बढ़त दिला सकता है।

जबकि भाजपा और एनडीए भी इसके जवाब में अपनी रणनीतियां तेज कर रहे हैं, इसलिए यह चुनाव लगभग तय नहीं रहेगा। चुनावी गणित, सामाजिक समीकरण और जनभावनाओं के हर पहलू को समझकर ही महागठबंधन की अगली दिशा तय होगी।