बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर मतदान हुआ। कई जगह EVM खराबी, मतदान बहिष्कार और “रोड नहीं तो वोट नहीं” के नारों ने सुर्खियां बटोरीं। चुनावी प्रक्रिया पर उठे सवालों के बीच जनता का जोश बरकरार रहा।
पटना, 06 नवंबर। बिहार में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व शुरू हो चुका है, लेकिन पहले चरण की वोटिंग के साथ ही सिस्टम और जनता के बीच की दूरी एक बार फिर उजागर हो गई। जहां एक ओर कुछ इलाकों में लोगों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया, वहीं कई गांवों में सन्नाटा पसरा रहा। कहीं ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ के नारे गूंजे, तो कहीं मशीनों ने जवाब दे दिया। पहले चरण के चुनाव ने एक बार फिर दिखा दिया कि लोकतंत्र के उत्सव को सुचारू बनाए रखने के लिए सिर्फ प्रचार नहीं, बल्कि भरोसेमंद व्यवस्था भी जरूरी है।
18 जिलों की 121 सीटों पर संपन्न हुआ पहला चरण
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग गुरुवार को 18 जिलों की 121 सीटों पर हुई। सुबह से ही मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला। बूथों पर लंबी कतारें लगीं, महिलाएं और युवा बड़ी संख्या में पहुंचे। हालांकि इस जोश के बीच कई जगहों पर मतदान बहिष्कार, EVM खराबी और प्रशासनिक लापरवाही की घटनाएं भी सामने आईं।
यह भी पढ़ें: बिहार चुनाव 2025 का एग्जिट पोल कब और किस दिन आएगा? जानें चुनाव आयोग का नियम
तीन जिलों में मतदाताओं ने किया मतदान का बहिष्कार
प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार, पटना, दरभंगा और मुजफ्फरपुर जिलों के कई गांवों में मतदाताओं ने वोट डालने से इंकार कर दिया।
- सोनवर्षा विधानसभा के जमालनगर में ग्रामीणों ने विकास कार्यों की अनदेखी का विरोध करते हुए मतदान नहीं किया।
- पटना के फतुहा क्षेत्र में जमीन विवाद के कारण पूरा गांव वोटिंग से दूर रहा।
- दरभंगा के कुशेश्वरस्थान में सड़क न बनने पर ग्रामीणों ने ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ का नारा लगाया।
प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद ग्रामीणों ने मतदान केंद्र तक जाने से इनकार कर दिया। वहीं, मुजफ्फरपुर के गायघाट विधानसभा के तीन बूथों (161, 162, 170) पर पुल और सड़क निर्माण में देरी को लेकर मतदाताओं ने बहिष्कार किया। इन घटनाओं ने जनता की नाराजगी और व्यवस्था पर अविश्वास को उजागर किया।
EVM खराबी से अटकी वोटिंग, मतदाता परेशान
कई जिलों में मतदान की शुरुआत के साथ ही EVM मशीनें ठप पड़ गईं।
- दानापुर के बूथ नंबर 196 और बख्तियारपुर के बूथ नंबर 316 पर तकनीकी खराबी के कारण मतदान रुका रहा।
- तेजस्वी यादव के क्षेत्र राघोपुर में भी एक बूथ पर मशीन बंद पड़ने से वोटिंग रोकनी पड़ी।
- मधेपुरा में भी कई केंद्रों पर घंटों बाद मतदान शुरू हो सका।
तकनीकी दलों ने मशीनें ठीक कर दीं, लेकिन इस दौरान मतदाताओं को धूप में इंतजार करना पड़ा, जिससे नाराजगी बढ़ी।
फतुहा में अधिकारी बीमार, बिहार शरीफ में BJP कार्यकर्ता हिरासत में
फतुहा विधानसभा के हाजीपुर गांव में बूथ नंबर 254 पर पीठासीन अधिकारी राजेश की तबीयत मतदान के दौरान बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ पाया गया।वहीं, बिहार शरीफ में BJP के चार कार्यकर्ताओं को पर्चियां बांटने के आरोप में पुलिस ने हिरासत में लिया। इस घटना के बाद RJD और BJP समर्थकों के बीच तनाव बढ़ गया।पटना साहिब सीट पर विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव और मतदान अधिकारियों के बीच नोकझोंक भी चर्चा में रही, जब उनसे वोटर कार्ड दिखाने को कहा गया।
दिव्यांग मतदाताओं के लिए नहीं मिली सुविधा
नालंदा जिले के हिलसा विधानसभा क्षेत्र में दिव्यांग मतदाताओं को बूथ नंबर 297 और 298 पर व्हीलचेयर जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलीं। कई दिव्यांग मतदाताओं को लाइन में खड़े होकर मतदान करना पड़ा। आयोग के निर्देशों के बावजूद यह लापरवाही प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करती है।
मतदान प्रतिशत बढ़ा, लेकिन भरोसे की कमी कायम
तकनीकी गड़बड़ियों और बहिष्कार के बावजूद अधिकांश जिलों में वोटिंग 60 प्रतिशत से अधिक रही। महिलाओं और युवाओं में उत्साह दिखा, लेकिन ग्रामीण इलाकों में विरोध की आवाजें भी तेज रहीं। पहले चरण की वोटिंग ने यह साफ कर दिया कि बिहार का मतदाता आज भी लोकतंत्र पर भरोसा रखता है, बस उसे चाहिए एक पारदर्शी और संवेदनशील प्रशासन।
यह भी पढ़ें: “नायक जेल जाएगा, नालायक विदेश जाएगा” -बिहार चुनाव में सीएम रेखा गुप्ता का बयान मचा रहा बवाल!
