बिहार चुनाव 2025 से पहले पीएम मोदी का सीमांचल दौरा और 40 हजार करोड़ रुपये के विकास पैकेज ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। जानिए क्या ये विकास योजनाएं वोटरों को लुभाने का चुनावी हथियार हैं।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीमांचल क्षेत्र का दौरा राजनीतिक हलकों में चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है। सोमवार को पीएम मोदी पूर्णिया एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे और करीब 40 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की सौगात सीमांचल को देंगे। यह कदम सिर्फ विकास के लिए नहीं, बल्कि विधानसभा चुनाव में वोटरों को लुभाने की रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है।

विकास की सौगात या चुनावी हथियार?

सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों पर सियासत अपना असर दिखा रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने यहां 10, एनडीए ने 9 और AIMIM ने 5 सीटें जीती थीं। हालांकि, AIMIM से चार विधायक बाद में आरजेडी में शामिल हो गए, जिससे महागठबंधन की ताकत बढ़कर 14 सीटें हो गईं, वहीं एनडीए के पास नौ सीटें रह गईं। लोकसभा चुनाव 2024 में भी एनडीए को सीमांचल में तीन सीटें गंवानी पड़ीं।

प्रधानमंत्री मोदी की इस विकास परियोजनाओं के जरिए एनडीए की यह कोशिश है कि वह सीमांचल की राजनीतिक जंग में अपनी पकड़ मजबूत करे। 40 हजार करोड़ के इस पैकेज में एयरपोर्ट टर्मिनल, नई रेल लाइनें, थर्मल पावर प्रोजेक्ट, सड़कें, पेयजल योजनाएं और मखाना बोर्ड जैसी कई अहम परियोजनाएं शामिल हैं।

सीमांचल की राजनीति

सीमांचल बिहार की राजनीति में संवेदनशील और निर्णायक क्षेत्र है। यहां मुस्लिम आबादी अधिक है और AIMIM की राजनीतिक पकड़ भी है, जिससे महागठबंधन की स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। इसी वजह से प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा चुनावी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है, जहां वे सीमांचल के मतदाताओं को विकास की सौगात देकर वोट बैंक को मजबूती देना चाहते हैं। वहीं, विपक्ष खासकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, जो हाल ही में पूर्णिया में अस्पतालों का निरीक्षण कर महिलाओं के साथ संवाद कर रहे हैं, विकास की इन घोषणाओं को चुनावी छलावा बताकर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं।

राजनीतिक समीकरण और आगामी लड़ाई

सीमांचल में हुई पिछली लोकसभा और विधानसभा चुनावों के नतीजों को देखकर साफ है कि किसी भी दल के लिए यहां जीतना आसान नहीं। एनडीए विकास योजनाओं के प्रचार-प्रसार के जरिए वोटरों का दिल जीतना चाहता है, तो महागठबंधन और अन्य विपक्षी दल अपनी राजनीतिक जमीन बचाने में लगे हैं।

क्या होगा सीमांचल का भविष्य?

यह देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी के विकास परियोजनाओं के इस बड़े पैकेज का सीमांचल में कितना असर पड़ता है और यह एनडीए की राजनीतिक मजबूती के लिए कितना कारगर साबित होता है। विपक्ष का दावा है कि यह सब चुनावी वादों का मेला है, लेकिन जनता की मांग है कि विकास की बातें जमीन पर होती दिखें, ताकि सीमांचल के लोग भी सशक्त और समृद्ध हो सकें।

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