सार
'जवानी में खता, बुढ़ापे में सजा' का ताजा उदाहरण छपरा का यह कांड है। पुलिस को रेलवे विभाग के लोहे की चोरी के दो आरोपियों तक पहुंचने में 49 साल लग गए। जब यह कांड हुआ था। उस समय एक आरोपी की उम्र 19 साल थी, जबकि दूसरे की 20-21 साल।
छपरा। बिहार की रेल पुलिस का यह काम सुनेंगे तो दांतों तले अंगुली दबा लेंगे। 'जवानी में खता, बुढ़ापे में सजा' का ताजा उदाहरण छपरा का यह कांड है। पुलिस को रेलवे विभाग के लोहे की चोरी के दो आरोपियों तक पहुंचने में 49 साल लग गए। जब यह कांड हुआ था। उस समय एक आरोपी की उम्र 19 साल थी, जबकि दूसरे की 20-21 साल। अब एक आरोपी की उम्र 68 साल और दूसरे की 70 साल है।
1974 के केस में दो आरोपी अरेस्ट
सारण जिले के छपरा के प्रकरण में पुलिस ने वर्ष 1974 के चोरी के केस में दो आरोपियों को अरेस्ट किया तो आसपास के लोग यह देख दंग रह गएं। पता चला कि यह केस वर्ष 1974 में सोनपुर आरपीएफ पोस्ट में अपराध संख्या 23/1974 के रूप में दर्ज है। बहरहाल, गिरफ्तार किए गए आरोपी प्रभु राय (68) और गोधन भगत (70) है।
रेलवे का लोहा चोरी करने का आरोप
दोनों आरोपियों के खिलाफ वर्ष 1974 में रेलवे का लोहा चोरी करने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। पुलिस का कहना है कि तभी से दोनों आरोपी फरार चल रहे थे। उनकी तलाश में बार-बार तलाशी ली गई और छापेमारी भी की गई। पर 49 वर्षों तक दोनों आरोपी पुलिस के हाथ नहीं लगे।
कोर्ट में पेश कर भेजा गया जेल
जानकारी के अनुसार, पुलिस को यह भी बताया गया कि दोनों आरोपी गांव से अपनी सम्पत्ति बेचकर फरार हो गए थे। एक आरोपी प्रभु राय को आरपीएफ ने नया गांव से दबोचा, जबकि दूसरे आरोपी गोधन भगत को डोरीगंज से अरेस्ट किया गया। दोनों के खिलाफ वर्ष 2001 से रेलवे कोर्ट की तरफ से पमानेंट वारंट जारी किया गया था। बहरहाल, सोनपुर आरपीएफ ने दोनों आरोपियों को रेलवे कोर्ट के समक्ष पेश किया और फिर जेल भेज दिया गया। यह पूरी कहानी रेलवे पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं। दोनों आरोपी इतने बुजुर्ग हो गए हैं कि अब कहा जा रहा है कि उनकी जिंदगी जेल में ही बीत जाएगी।