पूर्णिया में कांग्रेस की सभा में प्रत्याशी इरफान आलम भावुक हो गए। एक डाकिया के बेटे इरफान, राहुल गांधी द्वारा दिखाए गए भरोसे पर रो पड़े। राहुल ने उन्हें संभालते हुए उनके संघर्ष को सराहा और सरकार पर बेरोजगारी व पेपर लीक को लेकर निशाना साधा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक गर्मी चरम पर है। इसी बीच पूर्णिया जिले के कसबा विधानसभा में कांग्रेस की एक बड़ी जनसभा के दौरान भावनात्मक दृश्य देखने को मिला। सभा को संबोधित करने पहुंचे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ मंच पर मौजूद कांग्रेस प्रत्याशी मो. इरफान आलम अचानक भावुक होकर रो पड़े। इस पल ने वहां मौजूद जनता और पूरे माहौल को एक अलग ही रंग दे दिया।
कौन हैं इरफान आलम?
मो. इरफान आलम किसी राजनीतिक वंश से नहीं आते। उनके पिता डाक विभाग में पोस्टमैन थे। बचपन से संघर्ष, मेहनत और साधारण परिवार की जिम्मेदारियां उनके जीवन का हिस्सा रहे हैं। जब राहुल गांधी ने उनका ज़िक्र करते हुए उनकी मेहनत की प्रशंसा की, तो इरफान की आँखों से भावनाएं छलक पड़ीं।
मंच पर भावुक क्यों हो गए इरफान?
इरफान आलम ने माइक संभालते ही कहा, “राहुल जी ने एक डाकिया के बेटे पर भरोसा किया है। यह मेरे लिए टिकट नहीं, सम्मान और जिम्मेदारी है।” वे ये कहते हुए भावुक हो गए और उनकी आंखों से आँसू बह निकले। राहुल गांधी तुरंत उनके पास पहुंचे और उन्हें संभाला। इरफान ने आगे कहा, “बिहार को अब बारात का घोड़ा नहीं, रेस का घोड़ा चाहिए। जो जनता के लिए दौड़े, काम करे, लड़ाई लड़े।”
राहुल गांधी ने क्या कहा?
राहुल ने जनता की ओर देखते हुए कहा, “ये MLA के बेटे नहीं हैं। ये उस पोस्टमेन के बेटे हैं, जिसने पूरी जिंदगी लोगों तक चिट्ठियां पहुंचाईं। हमें इनके संघर्ष पर गर्व होना चाहिए। यह चुनाव सिर्फ इनका नहीं, बिहार के हर मेहनतकश युवा का चुनाव है।” इस पर भीड़ में ज़बरदस्त तालियां और नारे गूंज उठे।
राहुल गांधी का सरकार पर जोरदार हमला
राहुल गांधी ने इस मंच से एनडीए सरकार, खास तौर पर नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “बिहार के युवा दुबई और बेंगलुरु को खड़ा करते हैं, लेकिन अपने ही राज्य में बेरोजगार घूमते हैं।” “एक समय था जब नालंदा दुनिया की शिक्षा का केंद्र था, और आज बिहार में परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो जाता है। बिहार को रिमोट से चलने वाली सरकार नहीं, अपनी आवाज़ से चलने वाली सरकार चाहिए।”
