बिहार चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस 24 सितंबर को पटना में CWC की बैठक करेगी। इसमें खरगे, राहुल और प्रियंका समेत शीर्ष नेता शामिल होंगे।
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने 24 सितंबर को पटना में कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की विस्तारित बैठक बुलाने का ऐलान किया है। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत देशभर के बड़े नेता शामिल होंगे।
पटना में जुटेंगे दिग्गज
सीडब्ल्यूसी की बैठक पटना में कराकर कांग्रेस साफ संदेश देना चाहती है कि बिहार उसके लिए प्राथमिकता है और पार्टी इस चुनाव को पूरी गंभीरता से लड़ने जा रही है। बैठक के अगले दिन यानी 25 सितंबर को कांग्रेस के बड़े नेता प्रदेश भर में घर–घर जाकर चुनावी घोषणापत्र बांटेंगे।
प्रियंका गांधी की एंट्री
बैठक के बाद 26 सितंबर को प्रियंका गांधी पटना और खगड़िया में सभाओं और महिला संवाद कार्यक्रम को संबोधित करेंगी। कांग्रेस–राजद गठबंधन ने महिलाओं को ढाई हज़ार रुपये महीना देने का वादा किया है। प्रियंका गांधी को कांग्रेस आधी आबादी को साधने का चेहरा बनाना चाहती है। इससे पहले वे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा में भी शामिल हो चुकी हैं।
चुनावी मुद्दे होंगे केंद्र में
सीडब्ल्यूसी की बैठक में वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) का मुद्दा प्रमुख रहेगा। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी और चुनाव आयोग की मिलीभगत से वोट चोरी हो रही है। इसके साथ ही बैठक में जातीय जनगणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाने जैसे प्रस्ताव भी पारित किए जा सकते हैं।
सीटों पर बनी सहमति
सूत्रों के मुताबिक, राजद और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर मोटे तौर पर सहमति बन गई है। कांग्रेस को करीब 60 सीटें मिल सकती हैं। पिछले चुनाव में पार्टी ने 70 सीटों पर लड़कर सिर्फ 19 जीती थीं। इस बार पार्टी गठबंधन में मजबूत उपस्थिति चाहती है। इंडिया गठबंधन में सीटों का अंतिम बंटवारा सितंबर के अंत तक फाइनल होने की उम्मीद है।
हैदराबाद से पटना तक
गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले 2023 में हैदराबाद में सीडब्ल्यूसी की बैठक की थी। अब पटना में बैठक कर पार्टी सीधे तौर पर मोदी–नीतीश की जोड़ी को चुनौती देने का संदेश देना चाहती है। बिहार की राजनीति में कांग्रेस लंबे समय से हाशिये पर रही है। लेकिन सीडब्ल्यूसी की बैठक, प्रियंका गांधी का सक्रिय अभियान और गठबंधन में सम्मानजनक सीटों का दावा यह दिखाता है कि इस बार पार्टी पूरे दमखम के साथ मैदान में है। कांग्रेस अब यह साबित करना चाहती है कि वह सिर्फ सहयोगी दल नहीं, बल्कि गठबंधन की धुरी बनने की भी क्षमता रखती है।
