दरौली (SC) चुनाव 2025 में लोजपा(रामविलास) के विष्णुदेव पासवान ने 83014 वोट पाकर जीत हासिल की। उन्होंने CPI(ML) के सत्यदेव राम को हराया। यह सीट लंबे समय से CPI(ML) का गढ़ रही है, जहाँ दलित वोटर निर्णायक भूमिका में हैं।
Darauli (SC) Assembly Election 2025: दरौली विधानसभा चुनाव 2025 में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के विष्णुदेव पासवान जीत गए हैं। उन्हें 83014 वोट मिले। उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (मुक्ति) के सत्यदेव राम को हराया। जिन्हें 73442 वोट मिले। सिवान जिले की दरौली विधानसभा सीट बिहार की राजनीति का सबसे संवेदनशील इलाका मानी जाती है। यह सीट लंबे समय से सीपीआई(एमएल) के प्रभाव में रही है और इसे लाल झंडे की मजबूत ज़मीन कहा जाता है। हालांकि 2010 में भाजपा ने यहां वामपंथी किले में सेंध लगाई थी।
2020 का दरौली चुनाव परिणाम
- 2020 में सीपीआई(एमएल) के सत्यदेव राम ने भाजपा के रामायण मांझी को हराया।
- सत्यदेव राम (CPI(ML)L)- 81,067 वोट
- रामायण मांझी (BJP)- 68,948 वोट
- जीत का अंतर-12,119 वोट
नोट: सीपीआई(एमएल) के सत्यदेव राम पर पांच आपराधिक मुकदमे हैं। 10 वीं पास सत्यदेव राम की कुल संपत्ति 30.59 लाख रुपए हैं लेकिन उन पर कोई कर्जा नहीं है।
2015 का दरौली चुनाव परिणाम
- 2015 में वामपंथियों ने वापसी की और भाजपा को कड़ी टक्कर दी।
- सत्यदेव राम (CPI(ML)L) - 49,576 वोट
- रामायण मांझी (BJP)-39,992 वोट
- जीत का अंतर-9,584 वोट
2010 का दरौली चुनाव परिणाम
- 2010 का चुनाव बड़ा उलटफेर लेकर आया, जब भाजपा ने वामपंथी गढ़ पर कब्ज़ा कर लिया।
- रामायण मांझी (BJP)-40,993 वोट
- सत्यदेव राम (CPI(ML)L) -33,987 वोट
- जीत का अंतर-7,006 वोट
मतदाता और जातीय समीकरण
- कुल मतदाता-2,78,901
- पुरुष मतदाता-1,45,112
- महिला मतदाता- 1,33,773
- दलित वोटर-लगभग 25% (निर्णायक भूमिका में)
- यादव, कुशवाहा और पिछड़ा वर्ग-महत्वपूर्ण संख्या
- ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम और भूमिहार-सीमित लेकिन असरदार
खास बात: यहां दलित और पिछड़े वर्ग वामपंथियों की सबसे बड़ी ताकत रहे हैं, जबकि भाजपा ब्राह्मण-राजपूत और ओबीसी वोटरों को जोड़ने की रणनीति पर काम करती रही है।
राजनीतिक इतिहास और विचारधारा की लड़ाई
दरौली विधानसभा सीट सिर्फ चुनावी मैदान नहीं, बल्कि किसान आंदोलन, दलित अधिकार और वर्गीय संघर्षों का प्रतीक रही है। यहां के चुनावों को हमेशा विचारधारा की जंग माना गया है – एक ओर वामपंथी आंदोलन और दूसरी ओर भाजपा की जातीय राजनीति।
