JDU ने बिहार चुनाव 2025 के लिए 57 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इसमें 18 विधायक, 6 मंत्री व 3 बाहुबली नेता शामिल हैं। 30 नए चेहरों को मौका मिला है, जबकि सूची में कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच जनता दल (यूनाइटेड) ने बुधवार को अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी है। इस लिस्ट में कुल 57 नाम शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि पार्टी ने 18 मौजूदा विधायकों को दोबारा मौका दिया है, जबकि 6 मंत्रियों को फिर से मैदान में उतारा गया है। इस कदम से नीतीश कुमार ने साफ संदेश दिया है कि पार्टी भरोसेमंद चेहरों पर ही दांव लगाने वाली है।

इस लिस्ट में तीन बाहुबली नेताओं, अनंत सिंह, धूमल सिंह और अमरेन्द्र उर्फ पप्पू पांडे को टिकट देकर जदयू ने पावर बैलेंस साधने की कोशिश की है। वहीं, इस सूची में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को जगह नहीं दी गई, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। पार्टी ने सामाजिक समीकरण के लिहाज से 10 अनुसूचित जाति और 4 महिला उम्मीदवारों को मौका दिया है।

57 में से 30 सीटों पर नए चेहरे, कई विधायकों का कटा टिकट

जदयू की पहली लिस्ट में 30 सीटों पर पुराने चेहरों की छुट्टी कर दी गई है। कुशेश्वरस्थान और सकरा विधानसभा के मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया गया, जबकि बरेली सीट पर इस बार बीजेपी की जगह जदयू ने दावा ठोका है। मटिहानी सीट पर 2020 में लोजपा से जीते प्रत्याशी अब जदयू के टिकट पर उतरेंगे। वहीं, गायघाट में लोजपा से आईं कोमल सिंह को उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने नया सामाजिक समीकरण बनाने की कोशिश की है।

6 मंत्रियों की संपत्ति पर नज़र

नीतीश सरकार के छह मौजूदा मंत्री इस बार फिर चुनावी मैदान में हैं। उनके हलफनामों पर नज़र डालें तो यह साफ दिखता है कि बिहार की राजनीति में अब पैसा और पावर दोनों का गहरा असर है।

संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी की कुल संपत्ति लगभग 2 करोड़ रुपये है। उनके पास 6 बीघा से अधिक कृषि भूमि, लगभग 19 लाख के जेवरात और 55 लाख की जमीनें हैं। उनकी पत्नी के नाम पटना में 95 लाख की संपत्ति दर्ज है।

श्रवण कुमार, जो नालंदा जिले से आते हैं, के पास बोलेरो, XUV500 और एंबेसेडर जैसी तीन गाड़ियां हैं। उनकी पत्नी गैस एजेंसी चलाती हैं और उनके पास नालंदा में एक बड़ा गोदाम भी है। कुल संपत्ति का अनुमान ₹3 से ₹4 करोड़ के बीच है।

मदन सहनी, बहादुरपुर से समाज कल्याण मंत्री, के पास तीन गाड़ियां और लगभग ₹2.8 करोड़ की संपत्ति है। उन्होंने हलफनामे में ₹70 लाख का कर्ज भी दिखाया है।

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री महेश्वर हजारी संपत्ति के मामले में सबसे आगे हैं। उनकी और पत्नी की संयुक्त संपत्ति करीब ₹9.32 करोड़ है। इनके पास बैंक बैलेंस, आवासीय मकान और कृषि भूमि सब कुछ है।

शिक्षा मंत्री सुनील कुमार, जो पेशे से डॉक्टर हैं, ने ₹11 करोड़ से अधिक की संपत्ति घोषित की है। कोलकाता और करुणबाग में उनके नाम पर करोड़ों की प्रॉपर्टी है। दिलचस्प बात ये कि उन्होंने किसी भी वाहन का उल्लेख नहीं किया है।

दलित समुदाय से आने वाले रत्नेश सदा सरकार के सबसे कम संपत्ति वाले मंत्री हैं। उनकी कुल संपत्ति ₹85 लाख के करीब है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी कम बताई जाती है।

बाहुबली तिकड़ी की पावर, पॉलिटिक्स और प्रॉपर्टी

जदयू की पहली लिस्ट में तीन नाम ऐसे हैं जिनकी चर्चा “बाहुबली” के रूप में होती रही है। सबसे पहले हैं अनंत सिंह, जिन्हें ‘छोटे सरकार’ कहा जाता है। वे मोकामा सीट से मैदान में हैं और उनकी और उनकी पत्नी की संपत्ति मिलाकर करीब ₹100 करोड़ आंकी जाती है। जिसमें से उनकी पत्नी नीलम देवी के नाम ₹63 करोड़ से अधिक की संपत्ति है।

धूमल सिंह, जो एकमा सीट से उम्मीदवार हैं, लंबे समय से बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं। उन पर कई आपराधिक मामले दर्ज रह चुके हैं। संपत्ति का आधिकारिक ब्योरा नहीं है, लेकिन क्षेत्र में करोड़ों की जमीन और व्यवसायिक निवेश की बात कही जाती है।

तीसरे बाहुबली अमरेन्द्र उर्फ पप्पू पांडे हैं, जो कुचायकोट से मैदान में हैं। उनकी कुल संपत्ति ₹7 करोड़ से ज्यादा है, जिनमें 5.5 करोड़ की अचल संपत्ति शामिल है। वे पूर्व मंत्री बृज बिहारी हत्याकांड के आरोपी सतीश पांडे के छोटे भाई हैं।