बिहार चुनाव 2025 में राजद की हार के बाद लालू परिवार में सत्ता संघर्ष गहरा गया है। तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव के बढ़ते प्रभाव से नाराज होकर, बेटे तेज प्रताप और बेटी रोहिणी आचार्य ने पार्टी व परिवार छोड़ दिया है। यह कलह नेतृत्व संकट को उजागर करता है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की करारी हार (मात्र 25 सीटें) के बाद लालू प्रसाद यादव के परिवार में लंबे समय से सुलग रहा 'सत्ता संघर्ष' अब खुलकर सामने आ गया है। महज तीन महीने के अंतराल में परिवार के दो प्रमुख सदस्यों—बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और बेटी रोहिणी आचार्य ने पार्टी और परिवार दोनों से नाता तोड़ लिया है। यह कलह नेतृत्व के प्रश्न, सत्ता के संघर्ष और तेजस्वी यादव के करीबी सलाहकार संजय यादव जैसे बाहरी व्यक्तित्व के बढ़ते प्रभाव की परिणति है।

 किडनी देने वाली बेटी का मोहभंग

परिवार में सबसे हालिया और सबसे चौंकाने वाली फूट चुनाव परिणामों के बाद नवंबर 2025 में तब पड़ी, जब बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया। रोहिणी, जिन्होंने 2022 में अपने बीमार पिता लालू यादव को अपनी किडनी दान की थी , वह परिवार की सबसे सम्मानित सदस्य मानी जाती थीं।

रोहिणी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर इसकी जानकारी दी और आरोप लगाया कि संजय यादव और रमीज ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था। सारण लोकसभा सीट से चुनाव हारने के बाद रोहिणी का यह निर्णय, लालू परिवार के भीतर बढ़ते तनाव को स्पष्ट करता है।

 तेज प्रताप का 'जयचंद' आरोप

लालू परिवार में पहली बड़ी फूट मई 2025 में पड़ी थी जब लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार दोनों से बाहर कर दिया था। यह निर्णय तेज प्रताप के सोशल मीडिया पर एक लड़की के साथ निजी पोस्ट विवाद के बाद लिया गया था। तेज प्रताप ने पिता के निर्णय को लालू यादव का नहीं, बल्कि "जयचंदों के दबाव" में लिया गया निर्णय बताया।

उन्होंने सीधे तौर पर तेजस्वी के करीबी सलाहकार संजय यादव को इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया। निष्कासन के बाद तेज प्रताप अब अलग रहते हैं और उन्होंने 'जनशक्ति जनता दल' (JJD) नाम से नई पार्टी भी बना ली है।

कलह का केंद्रीय कारण: संजय यादव का बढ़ता प्रभाव

लालू परिवार में चल रहे विवाद का मूल कारण तेजस्वी यादव के करीबी सलाहकार और राज्यसभा सांसद संजय यादव का अत्यधिक प्रभाव है। संजय को तेजस्वी का सबसे भरोसेमंद रणनीतिकार माना जाता है और राजद की सभी रणनीति का बड़ा हिस्सा उनके हाथों में रहता है।

  • फ्रंट सीट विवाद: विवाद तब चरम पर पहुंचा जब सितंबर 2025 में तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान संजय यादव को तेजस्वी के ठीक आगे की सीट पर बैठाया गया, जो पारंपरिक रूप से परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के लिए आरक्षित होती है।
  • रोहिणी की नाराजगी: रोहिणी ने इसे सार्वजनिक रूप से आपत्तिजनक बताया। 18 सितंबर को उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में संजय यादव पर निशाना साधा, और अगले ही दिन परिवार के सभी सदस्यों को सोशल मीडिया पर अनफॉलो कर दिया। रोहिणी का आरोप था कि संजय यादव को सांसद या विधायक बनाया जा सकता है, लेकिन लालू जी की कुर्सी पर नहीं बैठाया जा सकता।

अन्य बाहरी किरदार: रमीज नेमत खान

रोहिणी ने अपने बयान में रमीज नेमत खान का भी नाम लिया। रमीज, उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के रहने वाले हैं और तेजस्वी के क्रिकेट जमाने के दोस्त हैं। वह 2016 से राजद से जुड़े हैं और तेजस्वी के दैनिक रूटिन और कैंपेनिंग का काम देखते हैं।

नेतृत्व की कमजोरी और हार का परिणाम

बिहार चुनाव 2025 में राजद की करारी हार ने तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए। परिवार के सदस्यों को संजय यादव की बढ़ती ताकत इसलिए चुभने लगी है, क्योंकि उन्हें लगता है कि तेजस्वी की हाई-टेक रणनीति जमीन से जुड़े मुद्दों को संभाल नहीं पाई, जिसके चलते परिवार के बाकी सदस्य उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

तेज प्रताप और रोहिणी आचार्य का पार्टी और परिवार छोड़ना इस बात का प्रमाण है कि लालू परिवार में सत्ता का संघर्ष अब व्यक्तिगत सीमाओं को पार कर चुका है, और हार ने सभी आंतरिक विवादों को सार्वजनिक कर दिया है।