बिहार में 2020 के चुनाव में 12 सीटों पर 50% से कम मतदान हुआ, जिनमें से 9 NDA ने जीतीं। कम वोटिंग का फायदा NDA को मिला। अब 2025 के लिए महागठबंधन इन किंगमेकर सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है ताकि नतीजों को बदला जा सके।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच सियासी रणनीतिकारों की नजरें उन 12 सीटों पर टिकी हुई हैं, जहाँ 2020 के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 50% से कम था। इन सीटों ने पिछली बार चुनावी नतीजों को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन 12 में से 9 सीटें एनडीए के खाते में गई थीं, जबकि महागठबंधन को केवल 3 सीटें मिली थीं।

आंकड़े बताते हैं कि बिहार में जब वोट प्रतिशत कम रहा, तब एनडीए को अधिक फायदा हुआ। इसलिए 2025 में महागठबंधन भी इन कम मतदान वाली सीटों पर खास ध्यान दे रहा है। पार्टी का मानना है कि यदि शहरी और कम वोटिंग वाले क्षेत्रों में वोटरों को अधिक सक्रिय किया गया, तो ये सीटें किंगमेकर साबित हो सकती हैं।

शहरी सीटों पर बीजेपी का दबदबा

पटना जिले की तीन सीटें कुम्हरार, बांकीपुर और दीघा 2020 के चुनाव में सबसे कम मतदान वाली रही थीं। कुम्हरार में सिर्फ 35.2%, बांकीपुर में 35.9% और दीघा में 36.7% वोटिंग हुई थी। इन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों ने भारी मतों से जीत दर्ज की।

  • कुम्हरार: अरुण कुमार सिन्हा (बीजेपी) – 81,400 वोट
  • बांकीपुर: नितिन नबीन (बीजेपी) – 83,068 वोट
  • दीघा: संजीव चौरसिया (बीजेपी) – 97,044 वोट
  • गया शहरी : प्रेम कुमार (बीजेपी) - 66,362 वोट

जानकार बताते हैं कि इन क्षेत्रों में बीजेपी का कोर वोटर स्थिर रहा और कम मतदान के बावजूद पार्टी को बड़ा लाभ मिला।

महागठबंधन की मजबूत पकड़

वहीं महागठबंधन ने शहरी और ग्रामीण मिश्रित सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया।

  • जमालपुर: अजय कुमार सिंह (कांग्रेस) – 57,196 वोट
  • भागलपुर: अजीत शर्मा (कांग्रेस) – विजयी

राजद को शाहपुर और इस्लामपुर जैसे मुस्लिम-यादव समीकरण वाली सीटों पर सफलता मिली।

  • शाहपुर: राहुल तिवारी (राजद) – 64,393 वोट
  • इस्लामपुर: राकेश कुमार रोशन (राजद) – 68,088 वोट

जदयू को अस्थावां सीट पर सफलता मिली, जबकि मुंगेर और वारसलीगंज जैसे सीटों पर बीजेपी विजयी रही।

2015 बनाम 2020: मतदान में गिरावट

2015 के विधानसभा चुनाव में पटना की तीन प्रमुख सीटों कुम्हरार, बांकीपुर और दीघा में मतदान प्रतिशत 38-42% था। लेकिन 2020 में यह गिरकर 35-37% रह गया। इस गिरावट का फायदा एनडीए को मिला, जबकि महागठबंधन अपने पारंपरिक वोट बैंक को सक्रिय नहीं कर पाया।

जानकारों का कहना है कि बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन की रणनीति इन कम वोटिंग वाली सीटों को टारगेट करना और शहरी क्षेत्रों में मतदाता जागरूकता बढ़ाना है। यही सीटें अब किंगमेकर बन सकती हैं और अंतिम नतीजे तय करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।