बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि इस बार पूरा सहनी परिवार चुनावी मैदान में उतरेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीतिक सरगर्मी तेज है और इस बार विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी एक बड़ा दांव खेलने जा रहे हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि वे खुद तो विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और अपने परिवार को भी चुनावी मैदान में उतार सकते हैं। मुकेश सहनी की इस रणनीति से बिहार की राजनीति में नया समीकरण बनने की संभावना है।
परिवारवाद को दी अहमियत
मुकेश सहनी ने हाल ही में एक यूट्यूब इंटरव्यू में कहा कि राजनीति में परिवारवाद जरूरी है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतनराम मांझी का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे मांझी अपने परिवार के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतारकर अपनी पार्टी को मजबूत बनाए हुए हैं। सहनी ने कहा, "पिछली बार हमने दूसरों पर भरोसा किया लेकिन वे बिक गए। अपने परिवार के लोग ही कितने भरोसेमंद होते हैं, इसका अनुभव हम सबको हो चुका है।"
60 सीटों पर दावा
वीआईपी प्रमुख ने यह भी संकेत दिया कि महागठबंधन में उनकी पार्टी को पर्याप्त सीटें मिलेंगी। वे चाहते हैं कि पार्टी 60 सीटों पर चुनाव लड़े, जिसमें परिवार के सदस्य उम्मीदवार होंगे। उन्होंने कहा कि परिवार से उम्मीदवार उतारने के बाद भी बाकी सीटों पर अन्य सक्षम प्रत्याशियों को टिकट दिया जाएगा। यह रणनीति वीआईपी को मजबूत राजनीतिक पकड़ देने के लिए है।
किस सीट से चुनाव लड़ेंगे?
जहां तक सवाल है कि मुकेश सहनी खुद किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, अभी इस बारे में कोई पुख्ता घोषणा नहीं हुई है। टिकट बंटवारे, गठबंधन की रणनीति और अन्य तैयारियों पर अभी चर्चा जारी है। लेकिन माना जा रहा है कि सहनी अपने परिवार के साथ चुनावी मैदान में शामिल होकर पार्टी को चुनावी दौर में बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार कर रहे हैं।
राजनीतिक माहौल पर असर
मुकेश सहनी की यह पहल बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। उनके परिवार के सदस्य मैदान में उतरने से पहले से मौजूद जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों में नया बदलाव आ सकता है। खासकर कुर्मी-कुशवाहा वोट बैंक पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
विगत चुनावों में वीआईपी ने मछुआरा समुदाय और पिछड़ी जातियों में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। अपने परिवार को चुनाव में उतारकर सहनी अपनी सियासी रणनीति को और मजबूत करना चाहते हैं। इसके जरिए वे महागठबंधन में अपनी स्थिति को और अधिक प्रभावशाली बनाना चाहते हैं।
