बिहार के 9 बार मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार गठबंधन बदलने की राजनीति के लिए जाने जाते हैं। JP आंदोलन से शुरुआत कर, उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए BJP और RJD के साथ कई बार गठबंधन बनाया और तोड़ा है।
पटनाः बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का नाम गठबंधन और 'पलटीमार' राजनीति का पर्याय बन चुका है। अपनी आधी सदी की राजनीतिक यात्रा में उन्होंने कई बार गठबंधन बदले, दोस्त और दुश्मन को परिभाषित किया, और हर बार सत्ता के केंद्र में बने रहे। 1970 के दशक में जयप्रकाश नारायण (JP) के शिष्य के रूप में शुरू हुआ उनका सफर उन्हें नौ बार बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ले आया। अब 2025 के विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, 14 नवंबर को रिजल्ट आएगा और फिर उसके बाद ही पता चलेगा कि नीतीश कुमार दसवीं बार शपथ लेंगे या नहीं।
आज हम आपको सीएम नीतीश की राजनीतिक यात्रा के प्रमुख पड़ावों के बारे में बता रहे हैं….
शुरुआती सफर: लालू से दूरी और अटल बिहारी वाजपेयी का साथ (1974-2004)
नीतीश कुमार का राजनीतिक उदय जेपी आंदोलन से हुआ।
- 1974-77: उन्होंने जयप्रकाश नारायण के 'संपूर्ण क्रांति' आंदोलन में हिस्सा लिया, जहाँ उन्होंने लालू प्रसाद यादव, सुशील कुमार मोदी और रामविलास पासवान जैसे कई नेताओं के साथ मिलकर आपातकाल विरोधी राजनीति की बुनियाद रखी।
- 1985: पहली बार हरनौत से विधायक चुने गए।
- 1989-1990: वह बाढ़ से लोकसभा पहुंचे और वीपी सिंह सरकार में राज्य मंत्री बने। इसी दौर में लालू यादव के साथ उनके मतभेद गहरे हुए।
- 1994-1996: उन्होंने जनता दल से अलग होकर जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी की शुरुआत की।
- 1998-2004: अटल बिहारी वाजपेयी की NDA सरकार में मंत्री बने। इस दौरान उन्हें रेलवे में सुधारों का श्रेय दिया गया।
सत्ता का पहला स्वाद और लालू-राबड़ी राज का अंत (2000-2010)
बीसवीं सदी के अंत में नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचने की कोशिश की।
- 2000: मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल केवल एक सप्ताह तक चला, क्योंकि वह विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहे और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
- 2005: उन्होंने JDU-BJP गठबंधन का नेतृत्व किया और लालू-राबड़ी के 15 साल के 'जंगलराज' को समाप्त करते हुए बिहार में सत्ता हासिल की। यह सुशासन (Good Governance) के युग की शुरुआत थी।
- 2010: NDA ने 243 में से 206 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जनादेश हासिल किया, जिसने नीतीश को बिहार के सबसे मजबूत नेता के रूप में स्थापित कर दिया।
गठबंधन की कला और 'पलटीमार' का तमगा (2013-2025)
- 2013 के बाद नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा अस्थिरता और गठबंधन बदलने पर केंद्रित रही, जिसके कारण उन्हें 'पलटीमार' कहा जाने लगा।
- 2013: उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने पर आपत्ति जताते हुए BJP से गठबंधन तोड़ दिया और NDA से बाहर हो गए।
- 2015: उन्होंने पुराने प्रतिद्वंद्वी RJD और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ मिलकर BJP को हराया और फिर से मुख्यमंत्री बने।
- 2017: उन्होंने तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला देते हुए महागठबंधन छोड़ दिया और NDA में लौट आए।
- 2020: NDA ने मामूली अंतर से जीत हासिल की, लेकिन JDU 2015 की 71 सीटों से गिरकर 43 सीटों पर आ गई, जो उनका 15 साल का सबसे खराब प्रदर्शन था।
- 2022: उन्होंने BJP से नाता तोड़ लिया और RJD-कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन में लौट आए।
- जनवरी 2024: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने फिर से महागठबंधन छोड़ दिया और 9वीं बार मुख्यमंत्री बनने के लिए NDA में वापसी कर ली।
नीतीश कुमार की यह राजनीतिक यात्रा स्पष्ट रूप से दिखाती है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और सत्ता में बने रहने की रणनीति ही उनकी राजनीति का मूल आधार रहा है। देखना यह होगा कि 2025 का विधानसभा चुनाव उनके इस 'गठबंधन किंग' वाले तमगे को कहाँ तक ले जाता है।
