सांसद पप्पू यादव ने बिहार की मतदाता सूची पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने उच्च जनसंख्या वृद्धि के बावजूद 47 लाख वोटर घटने पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है और इसे आंकड़ों की हेराफेरी व साजिश बताया है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के बीच मतदाता सूची को लेकर सियासत गरमा गई है। पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने पूछा कि जब बिहार जनसंख्या वृद्धि दर में हमेशा आगे रहता है और यहां हर साल लाखों नए लोग वयस्क हो जाते हैं, तो आखिर मतदाता सूची में लाखों नाम कैसे घट गए?

बिहारी बच्चे बहुत पैदा करते हैं, फिर वोटर क्यों कम?

पप्पू यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट में तंज कसते हुए लिखा, "हम बिहारी बदनाम हैं कि हम सबसे ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं। जनसंख्या वृद्धि दर में बिहार सबसे आगे है। लेकिन जब वोटर लिस्ट की बात आती है तो बिहार सबसे पीछे क्यों है? यह कौन सा गणित है, जिसे समझना मुश्किल है?" उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को स्पष्ट करना चाहिए कि यह आंकड़ों का हेरफेर है या फिर मतदाता सूची से नाम काटने की कोई साजिश।

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महाराष्ट्र से की तुलना

सांसद ने बिहार और महाराष्ट्र की मतदाता सूची का उदाहरण देकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद सिर्फ चार महीने में महाराष्ट्र में 40 लाख नए वोटर जुड़े, जबकि बिहार में उसी अवधि में 47 लाख वोटर घट गए। पप्पू यादव ने कहा, "जनसंख्या में हम अव्वल हैं, लेकिन वोटर वृद्धि दर में हम सबसे पीछे। ये कैसा विरोधाभास है? बिहार की जनता इसका जवाब चाहती है।"

47 लाख मतदाता गायब, 83 लाख बाहर क्यों?

SIR (Systematic Intensive Revision) के बाद जारी फाइनल वोटर लिस्ट में बिहार के मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ से घटकर 7.419 करोड़ रह गई है। यानी लगभग 47 लाख मतदाता लिस्ट से बाहर हो गए। पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि बिहार की कुल वयस्क आबादी 8.3 करोड़ से अधिक है, लेकिन मतदाता सिर्फ 7.4 करोड़ हैं। उन्होंने पूछा, “बाकी 83 लाख वयस्क आबादी मतदाता सूची में क्यों नहीं है? क्या उनके परिवारों को कभी कोई नोटिस मिला? क्या उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया?”

घुसपैठियों का पूरा हिसाब दो

सांसद ने यह भी सवाल उठाया कि मतदाता सूची में कितने रोहिंग्या, बांग्लादेशी और म्यांमार से आए घुसपैठिए शामिल हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से हलफनामा (affidavit) देने की मांग की कि अब बिहार की मतदाता सूची में कोई भी घुसपैठिया शामिल नहीं है। पप्पू यादव ने कहा, "अगर आयोग ऐसा करने में असमर्थ है, तो उसे देश से माफी मांगनी चाहिए।" उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग बीजेपी की एजेंसी बनकर काम कर रहा है और जनता के भरोसे के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

लोकतंत्र को नीलाम किया जा रहा है

पप्पू यादव ने SIR प्रक्रिया को लोकतंत्र के खिलाफ साजिश करार दिया। उन्होंने कहा, "SIR के नाम पर बिहार में 90 लाख से ज्यादा वोट की हेराफेरी हुई है। यह लोकतंत्र को नीलाम करने का खेल है। जब तक चुनाव आयोग पारदर्शी नहीं होता, तब तक बिहार के लोगों को भरोसा नहीं होगा।"

चुनाव आयोग पर बढ़ा दबाव

इस पूरे विवाद ने बिहार की राजनीति में गर्मी बढ़ा दी है। अब निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी हैं कि क्या वह पप्पू यादव के सवालों का बूथवार आंकड़ों के साथ जवाब देगा या चुप्पी साधे रहेगा। विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे ने सियासी सरगर्मी को और तेज कर दिया है।