पूर्णिया सांसद पप्पू यादव को आचार संहिता के दौरान बाढ़ पीड़ितों को नकद मदद देने पर आयकर नोटिस मिला है। यादव ने इसे मानवीय सहायता बताते हुए कहा कि वे यह "अपराध" करते रहेंगे। इस मामले में चुनाव आयोग पहले ही केस दर्ज कर चुका है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की गरमी के बीच पूर्णिया सांसद पप्पू यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला राजनीतिक बयानबाज़ी से नहीं, बल्कि बाढ़ पीड़ितों की मदद से जुड़ा है। आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस भेजा है। जिसकी वजह है आचार संहिता लागू होने के बावजूद उन्होंने बाढ़ प्रभावित परिवारों के बीच नकद सहायता बांटी थी।
पप्पू यादव ने खुद अपने X (ट्विटर) हैंडल पर नोटिस की जानकारी साझा की और लिखा, “मुझे इनकम टैक्स का नोटिस मिला है, बाढ़ पीड़ितों की मदद में रुपये बांटने को अपराध बताया गया है। यह अपराध है तो मैं हर वंचित, हर पीड़ित की सहायता का अपराध सदैव करता रहूंगा!”
यादव का दर्द साफ झलका। उन्होंने पोस्ट में लिखा, “वैशाली जिले के नयागांव पूर्वी पंचायत के मनियारी गांव के बाढ़ पीड़ितों जिनका घर-द्वार सब गंगाजी में विलीन हो गया, अगर मैं उनकी मदद न करता तो क्या गृह राज्य मंत्री, स्थानीय सांसद या खुद को CM उम्मीदवार कहने वालों की तरह मूकदर्शक बना रहता?”
उन्होंने कहा कि उनका मकसद राजनीति नहीं, बल्कि मानवीय सहायता था। यादव ने लिखा, “लोगों के पास खाने को अन्न नहीं था, सिर पर छत नहीं थी। ऐसे में अगर मदद करना जुर्म है, तो मैं यह जुर्म बार-बार करूंगा।”
पहले भी दर्ज हो चुका है केस
यह विवाद नया नहीं है। अक्टूबर की शुरुआत में भी चुनाव आयोग ने इसी मामले पर संज्ञान लिया था। दरअसल, वैशाली जिले के गणियारी गांव में कटाव से तबाही के बाद पप्पू यादव मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने लगभग 80 प्रभावित परिवारों को करीब 5 लाख रुपये नकद सहायता दी थी।
आचार संहिता के नियमों के अनुसार, किसी भी जनप्रतिनिधि को चुनाव अवधि में नगद राशि या उपहार देना प्रतिबंधित है, क्योंकि यह मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास माना जाता है। इसी आधार पर चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
सिस्टम गरीबों पर सख्त, अमीरों पर नरम
नोटिस के बाद पप्पू यादव ने एक और बयान में कहा, “यह देश गरीब की मदद करने वाले को अपराधी और लूट करने वाले को नेता बना देता है। अगर इंसानियत दिखाना गलती है, तो यह गलती मैं करता रहूंगा।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार बाढ़ पीड़ितों के लिए कोई ठोस राहत योजना नहीं चला पाई, लेकिन जो मदद कर रहा है, उस पर केस और टैक्स नोटिस भेजा जा रहा है।
चुनावी मौसम में बढ़ी सियासी गर्मी
यह विवाद ऐसे समय में आया है जब बिहार में चुनावी प्रचार जोरों पर है और नेता हर दिन नए मोर्चे खोल रहे हैं। पप्पू यादव पहले से ही बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उदासीनता पर सरकार को घेरते रहे हैं। अब यह “इनकम टैक्स नोटिस बनाम इंसानियत” का मामला न सिर्फ़ सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है, बल्कि सियासी बहस का नया मुद्दा बन चुका है।
