बिहार चुनाव 2025 से पहले पटना में प्रशांत किशोर के खिलाफ पोस्टर वॉर छिड़ गया है। पोस्टरों में उन पर चंदे के पैसे से 32 करोड़ की जमीन खरीदने जैसे भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इसे उनकी छवि खराब करने की एक राजनीतिक रणनीति माना जा रहा है।

पटनाः जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नज़दीक आता जा रहा है, राज्य की राजनीति में तकरार और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज होता जा रहा है। इसी बीच राजधानी पटना की प्रमुख सड़कों पर लगे विवादित पोस्टरों ने चुनावी माहौल को और गरम कर दिया है। ये पोस्टर सीधे जनसुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को निशाना बना रहे हैं।

पोस्टरों में लगाए गए संगीन आरोप

पटना के गांधी मैदान, बिस्कोमान गोलंबर, रिवॉल्यूशन स्क्वायर और अन्य प्रमुख चौराहों पर लगे पोस्टरों में प्रशांत किशोर पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। एक पोस्टर में लिखा है, “चारा चोर से भी बड़ा चोर प्रशांत किशोर, जनता से चंदा के नाम पर ठगा पैसा, 32 करोड़ में खरीदी जमीन”। दूसरे पोस्टर में उन्हें “वितरक जन शराब” कहकर निशाना बनाया गया है। इन पोस्टरों पर किसी भी राजनीतिक दल का नाम स्पष्ट नहीं लिखा गया है, लेकिन इसे ‘जनतंत्र मोर्चा’ नामक संगठन से जोड़ा जा रहा है, जो अभी तक अज्ञात है।

समय और रणनीति ने बढ़ाई सियासी हलचल

जानकारों का कहना है कि यह पोस्टर वार समय के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। आज ही प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनडीए सरकार और उसके नेताओं पर भ्रष्टाचार और जमीन घोटाले के आरोप लगाए थे। इन पोस्टरों का उद्देश्य प्रशांत किशोर की छवि को धुंधला करना और जन सुराज अभियान को कमजोर करना है। चुनावी माहौल में यह कदम विरोधी दलों की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

प्रशांत किशोर के आरोप और खुलासे

प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। जिसमें उन्होंने एनडीए सरकार के भ्रष्टाचार और जमीन घोटाले की जानकारी जनता के सामने रखी। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य जनता को जागरूक करना और सच्चाई सामने लाना है। उनके प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद पोस्टर वार शुरू होना राजनीतिक गलियारों में सियासी षड़यंत्र की कहानी बता रहा है।

समर्थकों का विरोध और जवाबी रणनीति

प्रशांत किशोर के समर्थकों ने पोस्टर वार का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह अज्ञात संगठन और विपक्षी तत्वों की कौशलपूर्ण कोशिश है, ताकि प्रशांत किशोर की लोकप्रियता को चुनाव से पहले कमजोर किया जा सके। कुछ समर्थकों का यह भी मानना है कि पोस्टरों के माध्यम से जनता के मन में भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से भी इस पोस्टर अभियान का विरोध शुरू कर दिया है।

चुनावी माहौल पर संभावित असर

राजनीतिक पंडितों के अनुसार, यह पोस्टर वार केवल प्रशांत किशोर की छवि पर असर नहीं डालेगा, बल्कि मतदाताओं के मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी प्रभावित कर सकता है। बिहार चुनाव 2025 में रणनीति और छवि युद्ध महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। विपक्षी दल यह मानकर चल रहे हैं कि छवि पर हमला करके जनता के फैसले पर असर डाला जा सकता है।